देहरादून: भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डॉ. अविनाश आनंद की एसआईटी जांच कराने की मांग की गई है। आपको बता दें की भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में फैले भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी सवाल खड़े कर चुकी हैं। उन्होंने भी बोर्ड के सीईओ डॉ. अविनाश आनंद के खिलाफ मनमाने तरीके से ऑस्ट्रेलिया से कम गुणवत्ता की मरीन भेड़ के आयात का आरोप लगाया था। इसके साथ ही उन्होंने अपने पत्र में बोर्ड के निदेशक पर आय से अधिक संपत्ति होने का भी जिक्र किया था। आपको बता दें, बोर्ड के सीईओ डॉ. अविनाश आनंद पर सिर्फ भ्रष्टाचार के ही आरोप ही नहीं लगे हैं बल्कि उन पर राज्य भेड़, बकरी शशक पालक कोऑपरेटिव फेडरेशन में प्रबंधक कुमाऊं मंडल के पद पर कार्यरत पशु चिकित्साधिकारी डॉ. मुकेश कुमार दुमका को मूल पद पर भेजने का भी आरोप है।
इस पूरे प्रकरण को लेकर राज्य मंत्री रेखा आर्य ने गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि अफसर का तबादला करना शासन का अधिकार होता है, लेकिन यहां बोर्ड के निदेशक ने अपने अधिकारों का उल्लंघन करते हुए इस तरह का आदेश जारी किया है, जो पूरी तरह से जांच के दायरे में आता है। इस पूरे प्रकरण में उन्होंने पशुपालन निदेशक डॉक्टर केके जोशी को जांच करने को कहा है. साथ ही बोर्ड के निदेशक डॉ. अविनाश आनंद से स्पष्टीकरण भी मांगा है।


भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डॉ. अविनाश आनंद की मुश्किलें जल्द ही बढ़ सकती हैं। दरअसल, पशुपालन राज्यमंत्री रेखा आर्य ने मुख्य सचिव से बोर्ड के सीईओ के खिलाफ एसआईटी जांच किए जाने की सिफारिश की है। गौरतलब है कि वहीं, हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की ओर से भी बोर्ड को लेकर पत्र भेजा गया है। जिसमें एक अज्ञात व्यक्ति ने खुद को राष्ट्रीय सेवक बताते हुए बोर्ड की शिकायत की है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार को इस पत्र का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने को कहा है, जिसके आधार पर अब राज्यमंत्री रेखा आर्य ने भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डॉ. अविनाश आनंद के खिलाफ एसआईटी जांच के जाने की सिफारिश की है।