देहरादूनः उत्तराखंड-22 के चुनाव के लिए उत्तराखंड में कई पार्टियों ने अपने लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। सबसे ज्यादा मशक्कत केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कर रही है। लेकिन देवभूमि में आज तक इतिहास है कि किसी भी नई पार्टी ने चुनावों में कुछ खास कमाल नहीं दिखाया है। इससे पहले आम आदमी पार्टी को पंजाब और गोवा में भी मुंह की खानी पड़ी है।

 

दिल्ली में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार पर जो काम आम आदमी पार्टी की सरकार ने किया है क्या वो काम उत्तराखंड में ‘आप’ कर पाएगी ये जानने के लिए pahadirajya.com की टीम ने देवभूमि के लोगों से बात की,

 

देहरादून के व्यापारी सतीश कपरवान का कहना है कि उत्तराखंड में पलायन सबसे बड़ी समस्या है। दिल्ली का भौगोलिक वातावरण और उत्तराखंड का भौगोलिक वातावरण में काफी भिन्नता है। दिल्ली की सड़कों में चलने के लिए ओला-उबर की सेवा रहती है। लेकिन पहाड़ी इलाकों में ये मुमकिन नहीं है। मॉनसून में पहाड़ काफी प्राकृतिक आपदाओं से घिरे रहते हैं दिल्ली का मॉडल उत्तराखंड में काम नहीं कर पाएगा।

 

ऋषिकेश की शिक्षिका नेहा पोखरियाल कहतीं हैं कि उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पर राज्य सरकार 20 सालों में भी सुधार नहीं ला पाई। शिक्षा विभाग शिक्षकों को पहाड़ चढ़ाने में नाकामयाब रहा है। आम आदमी पार्टी आ भी गई तो अधिकारी और शिक्षक तो वही रहेंगे।

 

कोटद्वार की रहने वाली रश्मि (गृहणी) कहतीं हैं कि उत्तराखंड में हम जैसी गृहणियों के लिए सरकार आज तक कुछ नहीं कर पाई है। चुनाव के दौरान नेताओं के वादे और दावे होते हैं लेकिन चुनाव के बाद कुछ भी पूरा नहीं होता। दिल्ली में केजरीवाल सरकार जो विकास के दावे करती है असल में उसके उल्ट है, सभी दलों में भ्रष्ट नेता भरे पड़े हैं।

 

तो वहीं देहरादून के संजय बिंजोला का कहना है कि उत्तराखंड में ‘आप’ की राह बिल्कुल आसान नहीं है। इसकी मुख्य वजह है यहां पर पार्टी का जनाधार मजबूत नहीं है। साथ ही मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजेपी-कांग्रेस की तरह पार्टी का कैडर वोटर नहीं है। हालांकि पार्टी के प्रदेश में चुनाव लड़ने के फैसले से बीजेपी-कांग्रेस जरूर चिंतित नजर आ रही है। वहीं कुछ लोग आम आदमी पार्टी को तीसरे विकल्प के रूप में देख रहे हैं। लेकिन इसके लिए पार्टी को धरातल पर मेहनत करनी होगी।

 

हालांकि दिल्ली में रह रहे उत्तराखंड प्रवासी दिल्ली में कुछ मुद्दों पर केजरीवाल सरकार को फेल बताते हैं। उनका कहना है कि बारिश से दिल्ली में जलभराव की समस्या आज भी सुधर नहीं पाई है। दिल्ली की सड़कें आज भी गाड़ियों से जाम रहती है। प्रदूषण के मामले में दिल्ली सबसे दूषित शहर है। वहीं कोरोना काल में दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सुविधा का झूठ खुल कर बाहर आया है। केजरीवाल सरकार सिर्फ किसी भी फ्री योजना का ऐलान करके 5 सालों की नाकामी छिपाने में कामयाब रहते हैं। इसलिए देवभूमि की जनता आम आदमी पार्टी पर इतनी जल्दी विश्वास नहीं करेगी।

 

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