उत्तराखंड दिल्ली में 6 दिन में 678 लोगों की मौत वजह कोरोना
रोज लगभग 100 मरीजों की होती मौत से दिल्ली सिसक रही है. कोराना का कहर ऐसा है कि अस्पतालों में बेड कम पड़ गए हैं
कहीं मौत से जूझते मरीज को बेड नसीब नहीं हो रहा है कही बिना इलाज के ही दम निकल रहा है.
जी हा देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के आक्रमण से कोहराम मचा है. रोज लगभग सैकड़ों मरीजों की मौत हो रही है. कोरोना को काबू में करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन रोज हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं. लॉकडाउन से लॉक हटते ही कोरोना के खत्म होने के गुमान ने दिल्ली को एक बार फिर से गम के दरिया में धकेल दिया है


पिछले 6 दिन के आंकड़ों पर जरा नजर डालिए तो पता चलेगा कि कोरोना के प्रहार से कराहती दिल्ली का हाल क्या है.
22 नवंबर को 121 मौतें
21 नवंबर को 111 मौतें
20 नवंबर को 118 मौतें
19 नवंबर को 98 मौतें
18 नवंबर को 131 मौतें (एक दिन में होनेवाली मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा)
17 नवंबर को 99 मौतें (6 दिनों में कुल मौतें 678)
सरकार जागी तब तक देर हो चुकी थी. हालात बेकाबू हो चुके थे. अफरा-तफरी के माहौल में दिल्ली सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. केंद्र ने 700 आईसीयू बेड देने का वादा किया. दिल्ली सरकार ने ताबड़तोड़ कई फरमान जारी कर दिए. अब निजी अस्पतालों के 80 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित हैं. एमबीबीएस और बीडीएस के सीनियर छात्रों को भी ड्यूटी में लगा दिया गया है.
वहीं, केंद्र सरकार भी डॉक्टर मुहैया कराने की मुहिम में जुटी है. लेकिन सरकार के तमाम जतन के बीच दिल्ली वालों को भी कोरोना से सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है. सरकार ने मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना 2000 कर दिया लेकिन इसकी जरूरत क्यों पड़ी. रोजमर्रा की भागदौड़ में लोग कोरोना को नजरअंदाज करने की भूल कर रहे हैं जो बहुत महंगी पड़ रही है.
बता दे कि त्योहारों से पहले पीएम मोदी ने बार-बार देश को कोरोना के खतरे से आगाह किया. उन्होंने बार-बार कहा, मास्क और सोशल डिस्टेंसिग का सम्मान करें. दो गज की दूरी है जरूरी. जबतक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं. कोरोना जानलेवा है. इससे बचकर रहें. आप सुरक्षित रहेंगे तो आपका परिवार सुरक्षित रहेगा. समाज सुरक्षित रहेगा. ये हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वो कोरोना से सतर्क और सावधान रहे. नियमों का सख्ती से नहीं बल्कि जिम्मेदारी समझकर पालन करें
मगर लोगो ने दिल्ली वालों ने गम्भीरता से बात को नही माना