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शीतकाल के लिए बंद हुए धाम के कपाट, गूंजे जय बदरीविशाल की जयकारे, चारधाम यात्रा का भी समापन

शीतकाल के लिए बंद हुए धाम के कपाट, गूंजे जय बदरीविशाल की जयकारे, चारधाम यात्रा का भी समापन


बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज शनिवार को बंद कर दिए गए हैं। इससे पूर्व 14 नवंबर को भाई दूज पर केदारनाथ धाम के कपाट बंद किए गए थे
बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है। इसके साथ ही आज चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि पंच पूजाओं के पांचवें दिन शनिवार को रावल स्त्री वेष धारण कर माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान किया था।
उसके बाद उद्धव जी व कुबेर जी मंदिर प्रांगण में लाया गया। और दोपहर 3:33 बजे पर धाम के कपाट बंद कर दिए गए। बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होने का आमंत्रण दिया गया था। इस दौरान मंदिर में पूजा अर्चना की गई।शुक्रवार को धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और वेदपाठी रविंद्र भट्ट और लक्ष्मी मंदिर के पुजारियों ने मां लक्ष्मी की पूजा की और उन्हें कढ़ाही भोग लगाया। और आज धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस अवसर पर बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, दिनेश डिमरी, श्रीराम डिमरी, विपुल डिमरी, विवेक थपलियाल आदि मौजूद रहे।

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