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पहाड़ पॉलिटिक्स में एक गहरा शून्य छोड़ गई डॉ इंदिरा हृदयेश, ऐसी शख्सियत जिनसे हर पार्टी के नेता लेते थे सलाह

उत्तराखंड कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा ह्रदयेश का निधन हो गया है
डॉ ह्रदयेश अपने पीछे न केवल कांग्रेस बल्कि पहाड़ पॉलिटिक्स में एक गहरा शून्य छोड़ गई हैं जिसकी भरपाई बहुत जल्दी होना संभव नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी के दौर में राजनीति को जीने वाली स्व. इंदिरा हृदयेश का कद ऐसा था कि उत्तराखंड में वो नेताओं और विधायकों के बीच ‘दीदी’ के नाम से पॉपुलर थीं. क्या कांग्रेस, क्या भाजपा, सभी उनसे सलाह-मशविरा करने आते थे.

कांग्रेस की मिशन 2022 की तैयारियों को लेकर दिल्ली दौरे पर पहुँची 80 वर्षीय डॉ इंदिरा ह्रदयेश का आज सुबह लगभग 11 बजे दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
यूपी विधान परिषद से 1974 यानी 46 साल पहले अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाली डॉ ह्रदयेश ने कई बार विभिन्न सरकारों में अहम भूमिकाएँ निभाई और आज नेता प्रतिपक्ष के तौर अपनी राजनीतिक पारी का समापन कर दिया। इंदिरा ह्रदयेश का पार्थिव शरीर दिल्ली से हल्द्वानी लाया जा रहा है जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ इंदिरा के निधन पर गहरा शोक जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि दी है


इंदिरा ह्रदयेश का राजनीतिक सफर
1974-80: उत्तरप्रदेश में पहली बार विधान परिषद की सदस्य बनी।
1986-92: यूपी विधान परिषद की दोबारा सदस्य चुनी गई।
1992-1998: तीसरी बार यूपी विधान परिषद सदस्य निर्वाचित
1998-2000: चौथी बार यूपी विधान परिषद सदस्य बनी।
2000-2002: उत्तराखंड राज्य बनने के बाद बीजेपी की अंतरिम सरकार बनी तो ह्रदयेश को नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी दी गई।

2002-2007: प्रथम उत्तराखंड विधानसभा में विधायक चुनी गई। तिवारी सरकार में नंबर दो की हैसियत के साथ PWD, संसदीय मामले, सूचना, सांइस और टेक्नोलॉजी जैसे विभाग संभाले।
2012-2017: विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकारों में वित्त, संसदीय मामले, उद्योग, भाषा, प्रोटोकॉल सहित कई
अहम विभाग संभाले।

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