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आपके जाने से हर निकटस्थ की आँखे भीगी हैं, आखिर आप नहीं माने…….

 

आखिर आप नहीं माने…….
आप अभिभावक, बड़े भाई, मित्र हर रूप में मेरे जीवन मे विद्यमान थे। आप आशावादी और अतिसकारात्मक सोच के साथ जीवन जीने की मिसाल थे। हर सम्बन्ध निभाने में प्रामाणिक, सम्बन्धो का व्यापक खजाना, सर्वहितैषी, अल्पभाषी और अंतर्मुखी।
भाष्कर नैथानी नाम जहन में आते ही मन मे ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरना जो लोभ, मोह, पद- प्रतिष्ठा की अपेक्षाओं से कोसों दूर रहकर अपनी मस्ती में जीवन जीता हो। आप विद्यार्थी परिषद और भाजपा में संगठन मंत्री पद के दायित्वों पर रहे, पूर्णकालिक विचारक, प्रचारक और संगठक का आपके व्यक्तित्व में समावेश था।


गत ढाई तीन वर्षों में आप बहुत आध्यात्मिक और सात्विक हो गये थे। सतपुली के निकट आदिशक्ति माँ मुवनेश्वरी की शक्तिपीठ के संचालन में खुद को व्यस्त कर लिया था जिसमे संस्कृत विद्यालय और गौशाला भी संचालित हो रही थी। आपकी ऊर्जा, अनुभव और समय का उपयोग संगठन और सरकार में निरन्तर हो सकता था।
अकस्मात आपका गोलोक गमन स्तब्ध करने वाला है। आप बेटी कृति पर आप जान छिड़कते थे, उसकी और भाभी (पेशे से अध्यापिका) के अनुरूप ढली आपकी दिनचर्या सफल गृहस्थ की कहानी थी। आपके जाने से हर निकटस्थ की आँखे भीगी हैं।
प्रणाम ।।

भाजपा के युवा नेता
और भारतीय जनता पार्टी के  राष्ट्रीय मीडिया के सदस्य
सतीश लखेड़ा की कलम से

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