वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), देहरादून ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष (आजादी का अमृत महोत्सव) के उपलक्ष्य में ‘आईपीआर के डोमेन की समझ: एक संपूर्ण परिप्रेक्ष्य’ विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया
A one day Webinar on “INTELLECTUAL PROPERTY RIGHTS” organized by FRI (Deemed to be University), Dehradun
वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), देहरादून ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष (आजादी का अमृत महोत्सव) के उपलक्ष्य में ‘आईपीआर के डोमेन की समझ: एक संपूर्ण परिप्रेक्ष्य’ विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया
। डॉ. रेणु सिंह, आईएफएस, निदेशक एवं कुलपति, वन अनुसंधान संस्थान (सम विश्वविद्यालय), देहरादून मुख्य अतिथि थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. ए.के. त्रिपाठी, रजिस्ट्रार एवं वैज्ञानिक-जी, एफआरआईडीयू, देहरादून द्वारा एक परिचयात्मक नोट के साथ हुआ। शुभारंभ भाषण मुख्य अतिथि डॉ. रेणु सिंह, निदेशक और कुलपति, एफआरआई, (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), देहरादून ने दिया।
उन्होंने आईपीआर के क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला और चुनौतियों पर जोर दिया।
इसके पश्यात डॉ. विनीत कुमार, वैज्ञानिक-जी एवं कार्यक्रम समन्वयक ने स्पीकर प्रो. डॉ. उमेश वी. बनकर, बनाकर कंसल्टिंग सर्विसेज, वेस्टफील्ड, आईएन, यूएसए का परिचय दिया गया ।
अंत में वक्ता, प्रो. डॉ. वी. बनाकर ने आईपीआर के क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला, जैसे कि आधुनिक दुनिया में बौद्धिक अधिकारों की पहचान, अधिग्रहण, संरक्षण, विशेष रूप से अनुसंधान जांच को शर्तों और शब्दावली के साथ आविष्कार में अनुवाद करने और इसे आगे ले जाने के दौरान जहां इसे वैधता और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके पश्यात्, डॉ. वी. बनाकर ने वर्तमान परिदृश्य पर अपने विचार व्यक्त किए और आईपीआर कॉपीराइट, पेटेंट, आविष्कार आदि के संरक्षण के समाधान के बारे में अपने विचार सामने रखे। वेबिनार के अन्य प्रतिभागियों ने डॉ. वी. बनाकर के साथ बहुत उत्साहपूर्वक बातचीत की और अपने विचार रखे। आईपीआर से संबंधित प्रश्नों का उनके द्वारा संतोषजनक उत्तर दिया गया। वेबिनार में कम से कम 60+ प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें एफआरआई, देहरादून के विभिन्न संकाय सदस्य, वैज्ञानिक, शोध छात्र और एफआरआई (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के छात्र शामिल हैं।
कार्यक्रम का समापन डॉ. विपिन प्रकाश, वैज्ञानिक-एफ एवं कार्यक्रम समन्वयक (वानिकी), एफआरआई (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), देहरादून द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।