देहरादून।

उत्तराखंड मे नौकरशाहों ने..खासतौर से आईएएस अफसरों ने यह सोच लिया है कि .. हम मनमौजी बने रहेंगे… कोई हमारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता….
मैं चाहे ये करुं मैं चाहे वो करुं मेरी मर्जी …
लेकिन वह अधिकारी गलत है…
यहां सिर्फ मुख्यमंत्री धामी की मर्जी चलती हैं …
धानी जानते हैं कौन सा अधिकारी अपने काम के प्रति जवाबदेही है और कौन नहीं इसलिए तो बस समय-समय पर.. अधिकारियों की पेच कसते रहते हैं

बहुत से अधिकारी तो यह भी कह देते हैं कि शाहब हम इस जिले के जिलाधिकारी बने रहेंगे
और यदि हम को हटाया जाता है तो इस्तीफा दे देंगे ..!

सुना है एक टिहरी जिले का अधिकारी संडे को भी अपने तबादले से खफा होकर मुँह फुलाये बैठे हैं। इनके इस्तीफा का एक लेटर वायरल होने की बात कही जा रही है।
क्योंकि इनको टिहरी की जगह
रुद्रप्रयाग भेजा जा रहा है .. जिससे यह नाखुश है

बड़े दुख की बात है कि आईएएस अधिकारियों की इतनी बुरी स्थिति हो चुकी है कि चारधाम यात्रा रूट जैसे जिलों में ये काम करने को तैयार नहीं। ये युवा अधिकारी इतने कंफर्ट जोन में रहना चाहते हैं कि या तो मैदानी जिला मिल जाये और अगर ये नहीं मिला तो देहरादून से लगते जिलों में ही इनकी नौकरी चलती रहे।

वहीं, इन आज इन साहब के इस्तीफे की चर्चा सामने आयी है अब उन्हें लेकर कुछ और चर्चाएं भी बता दें।
चर्चा है कि साहब का बनारस में एक अस्पताल है। अब अस्पताल बनकर तैयार हो गया है तो चर्चा है कि मान्यवर वहां जाकर उसे संभालना चाहते हैं, ऐसे में सवाल ये की अगर यही सब करना था तो civil services क्यों जॉइन की। कहीं से mba इन हॉस्पिटल मैनेजमेंट करते और अस्पताल सम्भालते। दूसरी चर्चा इन्हीं को लेकर ये है कि इसी तरह की हरकत ये एक बार हरिद्वार में रहते हुए भी कर चुके हैं।

बाकी सुना हैं IAS को अपनी कारगुजारियां के कारण पड़ी झाड़….
इस्तीफे की दी धमकी पर फैसले पर अडिग धामी नहीं झुके इस्तीफे की धमकी पर………

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