पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में अब
घोड़े-खच्चरों के मल-मूत्र से बनेगी बिजली और बायोगैस यहां लगेगा प्लांट  पूरी ख़बर अंदर है
जी हा तीर्थयात्रियों को केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाले घोड़ों और खच्चरों का मल-मूत्र अब मंदाकिनी नदी को मैला नहीं करेगा
इससे अब बिजली, रसोई गैस और खाद तैयार की जाएगी
इसके लिए यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में बायोगैस प्लांट और कंपोस्ट पिट स्थापित किए जाएंगे।
इससे 15 घरों को बिजली और रसोई गैस मुहैया हो पाएगी।

केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना के तहत गौरीकुंड में बायोगैस प्लांट लगाया जाएगा। इसमें घोड़े और खच्चरों के मल-मूत्र से बायोगैस तैयार की जाएगी और इससे 48 से 50 किलोवाट बिजली का उत्पादन होगा।

 

यह बिजली 15 घरों को सप्लाई की जाएगी। साथ ही इससे बाजार व पैदल मार्ग पर स्ट्रीट लाइटें भी रोशन होंगी। यही नहीं, बायोगैस से 58 से 60 मीटर क्यूबिक रसोई गैस तैयार की जाएगी। 
परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने दो दिन पूर्व गौरीकुंड में बायोगैंस प्लांट के लिए भूमि का निरीक्षण किया है। अधिकारियों के अनुसार बायोगैस प्लांट के लिए केंद्र सरकार से 34 लाख 59 हजार रुपये की धनराशि स्वीकृत हो जा चुकी है। 

बायोगैस प्लांट व कंपोस्ट पिट के निर्माण की योजना बनाई थी

बता दें कि वर्ष 2018 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा भारती के गौरीकुंड भ्रमण के दौरान स्थानीय लोगों ने घोड़ा-खच्चरों के मल व मूत्र से होने वाली गंदगी से निजात दिलाने की मांग की थी। उसके बाद से केंद्र सरकार ने इस स्थान पर बायोगैस प्लांट व कंपोस्ट पिट के निर्माण की योजना बनाई थी।

मल से तैयार होगी खाद 
यात्राकाल में घोड़ा-खच्चरों के मल से खाद भी बनाई जाएगी। इसके लिए गौरीकुंड में एक कंपोस्ट पिट तैयार किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार इस पिट में खाद बनाने के लिए एक समय में 120 घोड़ा-खच्चरों का एक समय का मल पर्याप्त होगा। वैज्ञानिक विधि से मल से लगभग 25 से 30 दिन में खाद तैयार हो जाएगी, जिसे न्यूनतम दरों पर स्थानीय काश्तकारों को बेचा जाएगा।

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