Sunday, February 23News That Matters

क्या है मसूरी गोलीकांड, क्या हुआ था 2 सितंबर 1994 की उस रात…

 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मसूरी गोलीकांड के शहीद आंदोलनकारियों को विनम्र श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मसूरी गोलीकांड के शहीद आंदोलनकारियों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। शहीद आंदोलनकारियों के अथक प्रयासों से उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण हुआ। अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान को प्रदेश हमेशा याद रखेगा। राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया है। पलायन को रोकने, रोजगार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से कार्य किया जा रहा है।“

क्या हुआ था उस रात 

दो सितंबर 1994 की सुबह दर्दनाक और गहरे जख्मों से भरी थी, जिसका जख्म आजतक नहीं भर पाया है। अलग प्रदेश के लिए मुखर हुए आंदोलनकारियों पर 1 सितंबर 1994 को खटीमा में पुलिस ने गोलिया बरसाईं थीं। जिसके बाद 1 सितंबर की रात संयुक्त संघर्ष समिति ने झूलाघर के कार्यालय पर कब्जा कर धरना देने शुरू कर दिया था। लेकिन पुलिस ने आंदोलन कर रहे 5 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया जिसके विरोध में 2 सितंबर को अन्य आंदोलनकारियों ने झूलाघर पहुंचकर शांतिपूर्ण धरना शुरू कर दिया।

अचानक चलने लगी गोलियां

खटीमा गोलीकांड के विरोध में देर रात तक नारेबाजी चलती रही। लेकिन अचानक वहां तैनात सशस्त्र पुलिसकर्मियों ने बिना किसी चेतावनी के आंदोलनकारियों पर लाठियों के साथ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसमें 6 आंदोलनकारी शहीद हो गए थे।

नहीं मिला सपनों का उत्तराखंड

अलग राज्य निर्माण के लिए जिन आंदोलनकारियों ने आवाज उठाई वही आंदोलनकारी अलग उत्तराखंड मिलने के बाद भी यही करते हैं कि जिस सपनों के उत्तराखंड के लिए आंदोलन किया था वो उत्तराखंड नहीं मिल पाया। जल, जंगल, जमीन राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी लेकिन आज सभी मुद्दे चुनावी एजेंडों में तब्लीद हो गए।

 

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