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नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा इसे चारधाम यात्रा के परंपरागत मार्गों के विकल्प के रूप में न देखकर अतिरिक्त मार्ग के रूप देखा जाना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं को चार धामों हेतु राज्य के सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों से सुविधाजनक प्रवेश उपलब्ध हो सके

रामनगर से चारधाम हेतु रूट का अर्थ यह नहीं है कि चारधाम के परंपरागत मार्गों से यात्रा नहीं होगी या रामनगर से ही यात्रा का मुख्य मार्ग बनाया जाएगा, ये बात बिना तथ्यों को जाने गलत रूप से प्रचारित की गई है : जिलाधिकारी वंदना सिंह

 

नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा इसे चारधाम यात्रा के परंपरागत मार्गों के विकल्प के रूप में न देखकर अतिरिक्त मार्ग के रूप देखा जाना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं को चार धामों हेतु राज्य के सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों से सुविधाजनक प्रवेश उपलब्ध हो सके

 

 

नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कुछ दिनों पूर्व अखबारों में छपे चारधाम यात्रा के लिए रामनगर होते हुए वैकल्पिक मार्ग के सर्वे की बात पर स्पष्ट किया है कि इस रूट के सर्वे को लेकर पूर्व में काफी भ्रामक और गलत रूप से तथ्यों को प्रचारित किया गया जिससे अनावश्यक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई, यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि रामनगर से चारधाम हेतु रूट का अर्थ यह नहीं है कि चारधाम के परंपरागत मार्गों से यात्रा नहीं होगी या रामनगर से ही यात्रा का मुख्य मार्ग बनाया जाएगा, ये बात बिना तथ्यों को जाने गलत रूप से प्रचारित की गई है.
वास्तविक स्थिति यह है कि रामनगर गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने वाला एक मुख्य नगर है, यहां कॉर्बेट पार्क और अन्य पर्यटक स्थल होने के कारण काफी मात्रा में पर्यटक हर वर्ष आते हैं, यहां से कुमाऊं और गढ़वाल के विभिन्न जनपदों के लिए आवागमन के कुछ पुराने वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हैं, जिनकी स्थिति अच्छी न होने के कारण उन मार्गों से यात्रा करने वाले यात्रियों को असुविधा होती है, और मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ता है, जो लोग कुमाऊं के जनपदों से चार धाम दर्शन हेतु यात्रा करते हैं वो पहले से ही इन मार्गों का सीमित रूप से प्रयोग करते आ रहे हैं। वैकल्पिक रूट के सर्वे का उद्देश्य है कि दिल्ली और अन्य शहरों से सीधे रामनगर होते हुए आने वाले और कुमाऊं के अन्य जनपदों से चार धाम यात्रा के लिए इच्छुक श्रद्धालुओं को पहले से उपलब्ध वैकल्पिक मार्गों पर अधिक सुविधाएं दी जा सकें, इसे चारधाम यात्रा के परंपरागत मार्गों के विकल्प के रूप में न देखकर अतिरिक्त मार्ग के रूप देखा जाना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं को चार धामों हेतु राज्य के सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों से सुविधाजनक प्रवेश उपलब्ध हो सके

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