Saturday, February 22News That Matters

दुःख दर्द के सिवा पहाड़ की नारी की किस्मत मे कुछ लिखा भी है ऊपर वाले ने या नही?? महज ढाई साल के मासूम के बाद एक महिला को अपना निवाला बना दिया तेंदुए ने ।

दुःख दर्द के सिवा पहाड़ की नारी की किस्मत मे कुछ लिखा भी है ऊपर वाले ने या नही??
एक ओर महिला को अपना निवाला बना दिया तेंदुए ने ।

बोलता है पहाड़ी राज्य
बनकर पहाड़ की आवाज़
जिसने पहाड़ को बचाये रखा है वही मात्रशक्ति आये दिन अपनी जान गांव रही है, कभी भालू, कभी बाघ, कभी तेदुवा इनको निवाला अपना बनाता,
तो कभी पहाड़ से या फिर किसी पेड़ से गिरकर इनकी दर्दनाक मौत हो जाती ,
उत्तराखंड की समय समय की राज्य की सरकार और विपक्ष भले ही देहरादून मे रहकर बढ़ते पलायान पर चिंता जाहिर करते हो।


पर कोई भी ये तो बताये की ये लोग अब पहाड़ो मे क्यो रहे? ओर क्यो अपने घर गाँव वापस आये?
इन सवालों के साथ
पूछता है पहाड़ी राज्य बनकर पहाड़ की आवाज़

सबसे पहली बात-
सरकारी स्कूल बदहाल गुडवत्ता खत्म ।
दूसरी बात- मातृशक्ति के इलाज से लेकर आम जनमानस के लिए स्वास्थ्य सेवाओ का पूरा अभाव जग जाहिर है इसलिए पहाड़ आज भी बीमार ही रहता है।

तीसरी बात- खेती चौपट हो गई है बांदर ओर जंगली सुवरो ने सब कुछ तबाह कर डाला है ओर तबाह करते रहते है।

चौथी बात- पहाड़ में ही पहाड़ के युवाओ के लिए रोजगार नही है साहब । हा अब मुख्यमंत्री स्वरोजगर योजना ने जरूर रास्ता दिखाया है पर उसको धरातल पर पूरी तरह उतारने के लिए नोकरशाही मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर हावी है बल !

पांचवी बात – कोई भी अच्छा और बड़ा अधिकारी पहाड़ जाने को तैयार नही इसमे डॉक्टर को भी जोड़ दिया जाए तो गलत ना होगा

छठवी बात- कही पानी की किलत्त तो कही सड़क और बिजली की । भले ही अब त्रिवेंद्र सरकार एक रुपए मैं पानी का कनेक्शन देगी जो सुखद है
जहा अच्छा होगा उसकी तारीफ भी होगी

सातवी बात- बाघ / तेंदुवा , भालू की जी हा जिसे आप गुलदार कहते है जो आये दिन पहाड़ो के लोगो के जानवरों को तो मार कर खा ही रहा है अब आये दिन लोगो की भी जान ले रहा है ।

आठवी बात- पल पल डराता बरसातों के दौरान वो मौसम जो ना जाने कब तबाही ले आये, कब किस की जान ले ले, ना जाने कब कौन सोते हुए तो कोई जागते हुए मौत के काल मे इस आपदा के दौरान समा जाए।

नोवी बात- इन सब से अगर कोई बच भी जाये तो फिर ना जाने कब पहाड़ से कोंन सी गाड़ी कब खाई मैं गिर जाए, कोई नही जानता,

किसका अपना किस कारण ओर किस वजह से आकाल मौत के काल मैं चला जाये ये डर भी इन पहाड़ो की बदहाल सड़को मैं चलते समय सताए तो कही सरकारी बसों के अभाव के कारण तो कही गाड़ियों की फिटनेस ओर कही सड़क पर गड्ढे वजह बनते है हादसे के।

दसवीं बात – आये दिन रोजाना की दिन चर्या के दौरान जंगल जाकर या फिर पहाड़ियों मैं चढ़कर घास काटना ताकि अपने औलाद की तरह प्यारे अपने जानवरो का पेट भरा जाए और इस के चलते एक चूक ,या फिर जरा सी गलती, जरा सा ध्यान हटना, या फिर कुछ भी आदि आदि
पहाड़ी से या पेड़ से गिरकर उनकी दुःखद दर्दनाक मौत हो जाना।

उत्तराखंड : बुजुर्ग महिला को तेंदुए ने बनाया निवाला, दो दिन में दूसरी घटना से गांव में दहशत

दुःखद ख़बर है
हमारे अल्मोड़ा के भैंसियाछाना ब्लॉक के डूंगरी गांव में अभी बीते दिन ही मासूम ढाई साल के बच्चे को निवाला बनाया तेंदुए ने ओर अब अगले ही दिन बुधवार को एक मानसिक रूप से अस्वस्थ बुजुर्ग महिला को भी तेंदुए ने अपना शिकार बना लिया।
जानकरी अनुसार महिला मंगलवार शाम से घर से लापता थी। ओर बुधवार की देर शाम को जंगल में ही  उसका शव मिला।
बता दे कि डूंगरी में आदमखोर तेंदुए ने दो दिनों के भीतर दूसरा शिकार किया है।
पहले मंगलवार शाम डूंगरी में ढाई वर्षीय हर्षित को मां की गोद से उठा लिया था। बाद में उसका शव घर से तीन सौ मीटर दूर जंगल में मिला था।
वही मंगलवार की देर शाम डूंगर गांव में 75 वर्षीय मानसिक रूप से अस्वस्थ वृद्धा आनंदी पत्नी स्व. हरी राम अचानक घर से गायब हो गई थी।


ग्रामीणों ने बताया कि महिला घर में अकेली रहती थी। बुधवार को ग्रामीणों ने पूरे दिन उसकी खोजबीन की लेकिन महिला का कहीं पता नहीं चल पाया। बुधवार देर शाम महिला का शव घर से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर गधेरे में मिला। बताया जा रहा है कि महिला के शरीर में तेंदुए के पंजे और दांत के निशान है ।
दुःखद ख़बर
हम पहाड़ वासियो के लिए दर्दनाक ख़बर है

 मेरे पहाड़ मैं तेरे पहाड़ मैं पूर्व मुख्यमंत्री के पहाड़ मैं , वर्तमान मुख्यमंत्री के पहाड़ मैं, सभी मंत्री , नेता, दाईत्व धारियों के पहाड़ मैं , सभी सासंदो के पहाड़ों मैं, उत्तराखंड के नामी गिरामी अफसरों, फेमस, लोगो के पहाड़ मैं ये अक्सर इस प्रकार दुःखद जानकारी मिलती रहती है। किसी को बाघ मार देता, किसी पर भालू हमला कर देता, कोई गर्भावस्था के दौरान अच्छे इलाज़ के अभाव मैं दम तोड़देती , कोई कही दिन रात खेत मैं मेहनत करते करते थक जाते पर बंदर सुवर उनकी मेहनत पर पानी फेर देते।
बहुत कुछ है क्या क्या बोलू ओर क्या क्या लिखूं।
सिर्फ अब इतना कहता है पहाड़ी राज्य बनकर पहाड़ की आवाज़ की अब आंख मैं आंसू है और दिल मैं गुस्सा उन के खिलाफ जो अक्सर पहाड़ के विकास के नाम पर सर्फ सियासत करते है
हमारा व आपका कितना दर्द कम हुवा
ख़बर  सही लगे तो शेयर जरूर  करे। ताकि हमारी सरकार कुछ सोचे
 

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