मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को काली एवं गोरी नदी के संगम पर स्थित जौलजीवी मे प्रसिद्ध ऐतिहासिक, पारंम्परिक एवं व्यापारिक जौलजीबी मेले का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने मेले में विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेला हमारी बहुत बड़ी सास्कृतिक धरोहर हैं। मेले धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देते हैं। जौलजीबी मेले को और अधिक विकसित एवं सुविधायुक्त बनाया जाएगा। जौलजीबी मेला भारत नेपाल के मैत्री संबंधों को भी बढ़ाता है। मेले हमारी धरोहर एवं संस्कृति के द्योतक हैं, उन्हें हमें आगे बढ़ाते हुए जीवित रखना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा विगत 4 महीनों में प्रदेश के हित में 400 से अधिक फैसले लिए हैं। इन सभी फैसलों का शासनादेश भी जारी हो चुके हैं । जो भी घोषणाएं की गई हैं उन्हें धरातल पर उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैंने इस भूमि में जन्म लिया है। मैं यहाँ जब भी आता हूँ, लोगों का अपार स्नेह मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनहित में सरकार ने अनेक निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षकों का मानदेय 15 हजार से 25 हजार रुपए प्रतिमाह किया है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय भी बढ़ाया गया है। जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत किये जाने हेतु महिला समूहों को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान हेतु 3 से 5 लाख तक का ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज पर दिया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप आज ये महिला समूह अन्य को भी रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र की महत्वपूर्ण बरम से कनार तक सड़क का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा। कोरोना काल में अनेक समस्याएं आई। सरकार द्वारा प्रभावितों को हर संभव सहायता दी जा रही है। स्वयं सहायता समूहों हेतु 119 करोड़ का पैकेज घोषित किया गया है। 5 लाख तक का ऋण शून्य ब्याज पर दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त परिवहन एवं पर्यटन के क्षेत्र में कार्य कर रहे व्यक्तियों को भी आर्थिक सहायता हेतु 200 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करते हुए उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से धनराशि जमा की जा रही है। आशा,उपनल कर्मी,ग्राम प्रधानों के हित में फ़ैसले लिए गए हैं। प्राथमिक एवं सामुदायिक चिकित्सालय में भी अनेक स्वास्थ्य की जांचें मुफ्त में की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा राहत के सभी मानकों में धनराशि बढ़ाए जाने हेतु भी भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। राज्य स्तर पर पूर्व में आपदा के दौरान घर पर पानी आ जाने और आंशिक नुकसान पर जो 3800 रुपये दिए जाते थे अब उसे बढ़ाकर 5000 कर दिया गया है। भवन क्षति की धनराशि भी 1 लाख 1900 से बढ़ाकर अब 1 लाख 50 हजार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष आने वाली आपदाओं की रोकथाम हेतु राज्य में एक आपदा अनुसंधान संस्थान खोले जाने हेतु भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
मुख्यमंत्री द्वारा इस अवसर पर क्षेत्र के विकास हेतु विभिन्न घोषणाएं की गई। उन्होंने घोषणा की कि चामी से मेतली तक मोटर मार्ग का निर्माण किया जाएगा। जौलजीबी में स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण किया जाएगा। जौलजीबी से वनराजि जनजाति बस्ती गानागांव- पचकाना -ढुंगातोली तक सड़क का निर्माण किया जाएगा। मवानी-दवानी से मणिधामी मोटर मार्ग निर्माण किया जाएगा। बसन्तकोट से मुन्नगरधार-उछति-लिलम तक मोटर मार्ग का निर्माण किया जाएगा। सिंमगड नदी के दाई ओर स्थित घटन(नाचनी) बाढ़ सुरक्षा हेतु तटबंध निर्माण किया जाएगा। मुनस्यारी बरार गाड़ के बाईं ओर खेत भराड़ गांव में बाढ़ सुरक्षा हेतु तटबंध निर्माण किया जाएगा। एलोपैथिक चिकित्सालय तेजम का उच्चीकरण किया जाएगा। मल्लधार से मडलकिया तक मोटर मार्ग का निर्माण किया जाएगा। बलमरा से बसोरा-सल्याडी मोटर मार्ग का निर्माण किया जाएगा। नोला पब्लिक स्कूल जुम्मा को अनुदान सूची में शामिल किया जाएगा। जौलजीबी में बुनकर भवन का निर्माण किया जाएगा। एलोपैथिक चिकित्सालय बरम हेतु कार्यवाही की जाएगी। स्थानीय लोगों की सहमति पर मुनस्यारी को नगर पंचायत बनाया जाएगा। ग्राम पंचायत पांगला के स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने हेतु कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने जौलजीबी मेले के आयोजन हेतु 5 लाख रुपये देने की घोषणा भी की।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि यह मेला भारत एवं नेपाल दोनों देशों का सांस्कृतिक मेला है। पूर्व में यह एक बड़ा व्यापारिक मेला होता था, अब इसका स्वरूप धीरे धीरे बदल रहा है। सांसद अजय टम्टा ने केन्द्र द्वारा संचालित कार्यों की जानकारी दी।
इस अवसर पर विधायक धारचूला हरीश धामी, ब्लॉक प्रमुख धन सिंह धामी, नगर पालिका अध्यक्ष राजेश्वर देवी, जिलाध्यक्ष भाजपा विरेन्द्र वल्दिया, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान, पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह और मित्र राष्ट्र नेपाल के आम नागरिक व संस्कृति कर्मी भी उपस्थित थे।