पंचायत प्रतिनिधियों की नाराजगी का मतलब
छोटी सरकार परेशान है
बता दे कि पंचायतीराज अधिनियम 2016 की धारा 30 प्रधान धारा 69 क्षेत्र पंचायत एवं धारा 107 में जिला पंचायतों को लोक सेवक माना है
ओर
हमारे सांसद व विधायक भी पंचायत प्रतिनिधियों की भांति लोक सेवक हैं
मगर जब उनके वेतन भत्ते
ओर सुविधाओं को देखा जाए और दूसरी तरफ बदहाल
हताश पंचायत प्रतिनिधियों को तो तस्वीर खुद बोलने लगती है
क्योंकि इनकीं सुविधाओं और वेतन के मामले में राजा सिपाही से भी बड़ा अंतर है
इस बात को लेकर
महेंद्र सिंह राणा ब्लाक प्रमुख द्वारीखाल प्रमुख सगठन अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से आग्रह किया है कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 में संशोधन किया जाए
या फिर सांसद विधायक की भांति ही वेतन भत्ते दिए जाएं
उन्होंने बताया कि
कि ग्राम प्रधान को 1500 मासिक,
उप प्रधान को 500 मासिक,
जिला पंचायत अध्यक्ष को 10000 मासिक,
जिला पंचायत उपाध्यक्ष को 5000 मासिक
जिला पंचायत सदस्य को 1000 प्रति बैठक
ब्लॉक प्रमुख को 6000 मासिक
उप प्रमुख को पंद्रह सौ मासिक
और क्षेत्र पंचायत सदस्य को प्रति बैठक 500 रूपये मानदेय के रूप में दिया जाता है
जबकि सांसद एवं विधायकों को लाखों रुपए वेतन भत्ते दिए जाते हैं।
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उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार या तो पंचायत प्रतिनिधियों को माननीय सांसदों एवं माननीय विधायकों के जैसे ही वेतन भत्ते प्रदान करे अन्यथा पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर पंचायत प्रतिनिधियों को अपना व्यवसाय करने हेतु आवश्यक कानूनी प्राविधान करे
उन्होंने राज्य के विधायकों एवं सांसदों से भी पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग की अपील की है
खबर है कि पंचायत प्रतिनिधियों की नारजगी सातवे आसमान पर है और उनकी बात को माग को नहीं माना गया तो वे गांव से लेकर शहरों तक मै प्रदर्शन करते नज़र आयेगे ।