उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नकल विरोधी कानून बना कर पूरे देश में सुर्खियां बटोरी हैं कई राज्य के मुख्यमंत्री धामी के बनाए नकल विरोधी कानून का ड्राफ्ट देख रहे हैं.. और अपने यहां भी लागू करने का विचार बना रहे हैं ….
हम जानते ही हैं कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में साल 2014-15 से लगातार… भर्ती घोटाले हो रहे थे … समय-समय पर.. शिकायत भी मिलती रही थी
उस दौरान की सरकारों और मुख्यमंत्रियों ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ लिया…. जिसका परिणाम यह रहा कि उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य के साथ लगातार .. धोखा होता आया….
मुख्यमंत्री धामी इन प्रकरणों की सच्चाई में गए… ओर एसआईटी जांच के आदेश दें डालें … बस फिर क्या था… एक के बाद एक सारे भर्ती घोटाले… सामने उजागर होने लगे .. युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले.. सलाखों के अंदर पहुंचने लगे…..
यह देख कुछ सफेदपोश से लेकर नकल माफिया तक… यहां तक की धामी के राजनीतिक विरोधी भी… आपस मे सब सांठगांठ कर… माहौल ऐसा बनाने लगे . जैसे पुष्कर राज में ही ये भर्ती घोटाले हो रहे हो…. ( और विपक्ष ने भी मौका पर चौका मारते हुए आवाज उठानी शुरू कर दी )
और कुछ ने तो युवाओं से प्रायोजित धरना प्रदर्शन आरंभ करवा डाला…. ताकि.. मुख्यमंत्री पर दबाव आये… या फिर भाजपा हाईकमान की धामी को फटकार लगे… यही नहीं…. इन षडयंत्रओ से ऐसा लगा रहा था . मानो यह षड्यंत्रकारी षड्यंत्र में कामयाब होकर धामी की कुर्सी हीं खा जाएंगे …. और चल भी रहे थे ऐसे ही चाल…
लेकिन धामी टस से मस नहीं हुए…. उन्होंने तो फैसला कर हीं लिया था. कि चाहे जो भी हो जाए…. वे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे…..
और हर हाल में नकल विरोधी कानून लेकर ही आएंगे ….
साथ ही धामी के सख्त आदेश व निर्देश के बाद.. धामी की स्वयं की मॉनिटरिंग के बाद .. सालों साल से खोई हुई परीक्षाओं में पारदर्शिता अब नज़र आ रही थी….
यह सच है कि धामी के दोने कार्यकाल को मिला कर धामी ने बतौर मुख्यमंत्री 2 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया.. है….
लेकिन इन 2 सालों के कार्यकाल पर नजर डाले तो …. धामी को… फूल कम कांटे ज्यादा.. मिले……
कहने का मतलब… चुनौतिया का अंबार.. धामी के आगे ऐसा खड़ा था …. धामी एक जगह से निकले तो दूसरे मे उलझें दूसरे से निकले तो तीसरे में उलझें ओर तीसरे से निकले तो चौथे मे उलझें……
पर धामी ने हर चुनौतियों का सामना मुस्कुराकर, धैर्य रख किया … अपने राजनीतिक विरोधियों को कहने दिया बोलने दिया जो भी जो बोल रहा था …..
लेकिन इन सबके बाद… आज भी धामी नही.. बल्कि धामी का काम बोल रहा…. प्रदेश के युवा और युवतियां… साथ हीं उनके के माता-पिता… व अन्य अभिभावक… यहां तक कि कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता भी…. धामी के बनाए नकल विरोधी कानून की जमकर तारीफ करते हुए कहते हैं कि धन्यवाद धामी जी …. अगर आप यह सब ना करते…. तो आज हम गरीब का बच्चा सरकारी नौकरी में ना निकल पता… आप की भर्ती परीक्षा में लाई गई पारदर्शिता का ही परिणाम है. सरकारी नौकरी में निकल गया…. हमारा बेटा व हमारी बेटी भी
बहरहाल पिछले 2 सालों यह कोई पहला वाक्य नहीं… जब धामी नहीं बोले धामी का काम बोला …. और धामी के राजनीतिक विरोधियों को समय-समय पर लगता गया गाल पर करारा तमाचा ……
फिलहाल आगे-आगे देखते जाइये …… बिना ब्रेक के पूरी पिक्चर अभी बाकी है ……
राज्य गठन से लेकर आज तक के भ्रष्टाचारियों की दफन फाइलों को धामी ने खोज निकाला है…..
उन फाइलों में ऐसे से नाम निकल कर आएंगे… की जानकर सुनकर आप भी.. चौक जाएंगे …. कि.. अरे यह भी भ्रष्टाचारी है….