देहरादूनः गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति से संबंधित साहित्य के संरक्षण के लिए श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने एक और पहल की है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति में रूचि रखने वाले छात्र-छात्राओं के लिए लोकभाषा पुस्तकालय खोलने का निर्णय लिया है। इस पुस्तकालय में गढ़वाली साहित्य से संबंधित पुस्तकें रखी जाएंगी।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यूएस रावत ने जानकारी दी कि समय की मांग और प्रदेश के लोगों की भावना और गढ़वाली में शोध की संभावनाओं को देखते हुए लोकभाषा पुस्तकालय जरूरी है। विश्वविद्यालय ने बीए और एमए स्तर पर गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति पाठ्यक्रम तो इस सत्र 2020-21 से शुरू कर दिया है लेकिन अब गढ़वाली भाषा में शोध एवं विकास के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में गढ़वाली भाषा पुस्तकालय की स्थापना का फैसला लिया है।
विश्वविद्यालय गढ़वाली भाषा के अध्ययन के लिए सेंटर फार एक्सीलेंस के रूप में उभर सके इसके लिए विश्वविद्यालय हर संभव कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि लोग इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि प्रदेश के लोगों का अपनी भाषा के प्रति कितना लगाव है। हमारी पूरी कोशिश होगी कि विश्वविद्यालय लोगों की उम्मीद पर खरा उतर सके। उन्होंने गढ़वाली भाषा के साहित्यकारों, लेखकों एवं रचनाकारों से आग्रह किया है कि वे चाहें तो अपनी रचना की एक-एक प्रति विश्वविद्यालय के लोकभाषा पुस्तकालय के लिए उपलब्ध करा सकते हैं ताकि आने वाली भावी पीढ़ी आपकी लेखन साधना से परिचित होने के साथ ही लाभान्वित भी हो सके। इसके साथ ही गढ़वाली साहित्य की उपलब्धता का भी इससे पता चल सकेगा। सभी गढ़वाली किताबों के लिए उचित कीमत दी जाएगी। कुलपति ने कहा कि यदि सरकार गढ़वाली भाषा को रोजगार के साथ जोड़ने का प्रयास करे तो निःसंदेह यह प्रदेश के लोगों की भावना का सम्मान होगा। साथ ही गढ़वाली भाषा के विकास के लिए भी मार्ग प्रशस्त होगा।