श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में वेरिया तकनीक
द्वारा सफल काॅंकलियर इम्प्लांट सर्जरी

देहरादून।
उत्तराखंड एवं उतर भारत के लोकप्रिय श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की उपलब्धियों में एक नया अध्याय जुड़ गया है।
यह अध्याय अस्पताल के नाक कान गला (ई0एन0टी0) रोग विभाग के अथक प्रयासों से लिखा गया है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नाक कान गला (ई0एन0टी0) रोग विभाग के द्वारा दो बच्चों की सफल काॅंकलियर इम्प्लांट सर्जरी की गई है।
मरीज जिनके नाम मास्टर हुसैन, उम्र 3 साल 8 महीने,
निवासी ग्राम कुलरीखेड़ा, बेहट, सहारनपुर,
उत्तरप्रदेश व मास्टर शौर्य, उम्र 2 साल, निवासी ग्राम सैंट्री, पट्टी चैरास, कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल के काॅंकलियर इम्प्लांट ऑपरेशन किए गए हैं।
यह काॅंकलियर इम्प्लांट ऑपरेशन
पदम् श्री से सम्मानित विश्वविख्यात नाक कान गला (ई0एन0टी0) रोग सर्जन डाॅं0 जितेन्द्र मोहन हंस की देखरेख में किये गए हैं।
येऑपरेशन काॅंकलियर इम्प्लांट सर्जरी की सबसे उन्नत व नवीनतम तकनीक ‘वेरिया तकनीक‘ के माध्यम से किये गए हैं।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नाक कान गला (ई0एन0टी0) रोग की विभागाध्यक्ष डाॅं0 तृप्ति एम0 ममगांई वह शख्सियत है जिनके मार्गदर्शन, अथक प्रयासों व दृढ़ निश्चय के चलते ये काॅंकलियर इम्प्लांट ऑपरेशन
सफलतापूर्वक संभव हो पाए। आपरेशन करने वाली टीम में डाॅं0 तृप्ति एम0 ममगांई, डाॅं0 अपूर्व पांडे (प्रोफेसर), डाॅं0 परवेंद्र सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर), डाॅं0 पल्लवी, डाॅं0 कनिका एवं डाॅं0 आकांक्षा शामिल थे।
‘‘हमारे श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में पूर्व में भी कई काॅंकलियर इम्प्लांट ऑपरेशन किये जा चुके हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि काॅंकलियर इम्प्लांट सर्जरी ‘वेरिया तकनीक‘ से की गई है। ‘वेरिया तकनीक‘ काॅंकलियर इम्प्लांट की अत्याधुनिक व सबसे उन्नत सर्जरी तकनीक है जिसे दुनिया के अग्रणी नाक कान गला (ई0एन0टी0) रोग सर्जन इस्तेमाल करते हैं। यह अति विकसित तकनीक न केवल जन्मजात मूक-बधिर बच्चों के लिए उपयोगी है, बल्कि बाद में बहरेपन (बहरापन जो कि बोलने व भाषा के विकास के बाद विकसित होता है) के मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। ये ऑपरेशन
दो अलग – अलग सरकारी योजनाओं- ई0एस0आई0सी0 (इम्लाॅंइज स्टेट इंश्योरेंश कार्पोरेशन) इम्पैनलमैंट व ए0डी0आई0पी0 (विकलांग व्यक्तियों के लिए उपकरणों की खरीद/फिटिंग की सहायता) के अन्तर्गत निःशुल्क किये गए हैं। ये आॅपरेशनं कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान किये गए, क्योंकि देर करने पर मरीजों में न्यूरोप्लास्टीसिटी होने का खतरा था। न्यूरोप्लास्टीसिटी यह अवस्था है जिसमें मानव मस्तिष्क आवाजों को पहचानना व उनका जबाब देना भूल जाता है। मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है कि हमने दोनों ऑपरेशन
सफलतापूर्वक किये। उम्मीद है कि निकट भविष्य में हम मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज करके समस्त समाज व मानवता की सेवा में कई और उत्कृष्ट कार्य करेंगे।
‘वेरिया तकनीक‘ से किये गये दोनों बच्चों के काॅंकलियर इम्प्लांट
ऑपरेशन
उनके लिए वरदान साबित होंगे क्योंकि दोनों बच्चों का इम्प्लांट स्विच ऑन किया जा चुका है और दोनों बच्चे अच्छे से सुन पा रहे हैं। अब दोनों बच्चों की स्पीच थेरेपी भी शुरू हो गई है जिससे वह जल्द ही बोलने भी लगेंगे।“
ये बयान
डाॅं0 तृप्ति एम0 ममगांई
विभागाध्यक्ष
नाक कान गला (ई0एन0टी0) रोग विभाग
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने दिया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here