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उत्तराखंड में बन रही कोरोना की तीसरी लहर की स्थितियां, जानिए कब होगा इसका सबसे ज्यादा असर…क्या कहते है दून के एक्सपर्ट.. पढ़े रिपोर्ट

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट ने कहा कि मानसून के बाद तीसरी लहर आ सकती हैं। उत्तराखंड में तीसरी लहर की पूरी स्थितियां बन रही हैं। कहा कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार या संभावित लहर का विश्लेषण हवा की आर्द्रता (नमी), जनसंख्या घनत्व (भीड़भाड़) और कोरोना के नये उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) पर टिका है। चौथा कारण है कि जांज दर में कितनी तेजी से चल रही है। कहा कि ज्यादातर राज्यों में जांच की दर कम हुई है। भले ही संक्रमण की दर में कमी आई हो। वहीं केरल और महाराष्ट्र में मरीज काफी मिल रहे हैं, यहां पर जांच की दर ज्यादा है। वायु में आर्द्रता बढ़ने के साथ वायरस का बाहरी आवरण कमजोर पड़ जाता है।

ऐसे में ऐरोसॉल या वायुकणों पर आधारित संक्रमण में कमी आना तय है। मानसून से बढ़ी नमी का यह लाभ तभी तक है जब तक भीड़भाड़ कम है। जैसे ही जनसंख्या घनत्व बढ़ता है वैसे ही वलगम की बूंदों पर अधारित संक्रमण में तेजी आने लगती है। वलगम की बूंदे हवा में बड़ी नमी की वजह से भवनों के अन्दर ज्यादा देर तक टिकती हैं। यही कोरोना संक्रमण का कारण बनते हैं। टीकाकरण का प्रतिशत बेहद कम है, 70 प्रतिशत से अधिक लोग टीके से दूर हैं।

ऐसे में मानसून के धीमा पड़ते ही जब हवा सूखी और ठंडी होगी तो वायुकणों से होने वाले संक्रमण की दर बढ़ जायेगी। उसके ऊपर यदि नये प्रकार का वायरस भी पनपता है तो तीसरी लहर आने में देर नहीं लगेगी। अस्पताल, मॉल, सामाजिक समारोह के स्थल, घनी बस्तियां ऐसी जगहें हैं जो संक्रमण के बड़े स्पॉट बनकर उभर सकते हैं। दूसरी लहर की भयावहता के बाद भी भीड़ और व्यक्तियों द्वारा कोविड नियमों का पालन न करना चैंकाने वाला तो है, लेकिन जागरूकता के माध्यमों का लगातार सक्रिय रहना भी जरूरी है
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ये दिये सुझाव
जांच की दर बढ़ाया जाए
टीकाकरण को बढ़ावा दिया जाए और वैक्सीन की किल्लत दूर हो
लक्षित समूहों की टेस्टिंग के साथ-साथ 18-45 वर्ष में विशेष लोगों के टीकाकरण को वरीयता दी जाए
ठेले वाले, दुकानदार, दूधवाले, ऑटो और टैक्सी ड्राइवर, होटलो, रेस्ताराओं के कर्मचारी, बैंक, सचिवालयकर्मी और खाना एवं सामान की डिलीवरी करने वाले लोगों को वैक्सीन दी जाए

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