दुःख दर्द के सिवा पहाड़ की नारी की किस्मत मे कुछ लिखा भी है ऊपर वाले ने या नही??


बोलता है पहाड़ी राज्य
बनकर पहाड़ की आवाज़
जिसने पहाड़ को बचाये रखा है वही मात्रशक्ति आये दिन अपनी जान गांव रही है, कभी भालू, कभी बाघ, कभी तेदुवा इनको निवाला अपना बनाता,
तो कभी पहाड़ से या फिर किसी पेड़ से गिरकर इनकी दर्दनाक मौत हो जाती ,
उत्तराखंड की समय समय की राज्य की सरकार और विपक्ष भले ही देहरादून मे रहकर बढ़ते पलायान पर चिंता जाहिर करते हो।

पर कोई भी ये तो बताये की ये लोग अब पहाड़ो मे क्यो रहे? ओर क्यो अपने घर गाँव वापस आये?
इन सवालों के साथ
पूछता है पहाड़ी राज्य बनकर पहाड़ की आवाज़

सबसे पहली बात-
सरकारी स्कूल बदहाल गुडवत्ता खत्म

दूसरी बात- मातृशक्ति के इलाज से लेकर आम जनमानस के लिए स्वास्थ्य सेवाओ का पूरा अभाव जग जाहिर है इसलिए पहाड़ आज भी बीमार ही रहता है।

तीसरी बात- खेती चौपट हो गई है बांदर ओर जंगली सुवरो ने सब कुछ तबाह कर डाला है ओर तबाह करते रहते है।
चौथी बात- पहाड़ में ही पहाड़ के युवाओ के लिए रोजगार नही है साहब हा अब मुख्यमंत्री स्वरोजगर योजना ने जरूर रास्ता दिखाया है पर उसको धरातल पर पूरी तरह उतारने के लिए नोकरशाही मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर हावी है बल !

पांचवी बात – कोई भी अच्छा और बड़ा अधिकारी पहाड़ जाने को तैयार नही इसमे डॉक्टर को भी जोड़ दिया जाए तो गलत ना होगा


छठवी बात- कही पानी की किलत्त तो कही सड़क और बिजली की । भले ही अब त्रिवेंद्र सरकार एक रुपए मैं पानी का कनेक्शन देगी जो सुखद है
जहा अच्छा होगा उसकी तारीफ भी होगी
सातवी बात- बाघ / तेंदुवा , भालू की जी हा जिसे आप गुलदार कहते है जो आये दिन पहाड़ो के लोगो के जानवरों को तो मार कर खा ही रहा है अब आये दिन लोगो की भी जान ले रहा है ।

आठवी बात- पल पल डराता बरसातों के दौरान वो मौसम जो ना जाने कब तबाही ले आये, कब किस की जान ले ले, ना जाने कब कौन सोते हुए तो कोई जागते हुए मौत के काल मे इस आपदा के दौरान समा जाए।
नोवी बात- इन सब से अगर कोई बच भी जाये तो फिर ना जाने कब पहाड़ से कोंन सी गाड़ी कब खाई मैं गिर जाए, कोई नही जानता,
किसका अपना किस कारण ओर किस वजह से आकाल मौत के काल मैं चला जाये ये डर भी इन पहाड़ो की बदहाल सड़को मैं चलते समय सताए तो कही सरकारी बसों के अभाव के कारण तो कही गाड़ियों की फिटनेस ओर कही सड़क पर गड्ढे वजह बनते है हादसे के।

दसवीं बात – आये दिन रोजाना की दिन चर्या के दौरान जंगल जाकर या फिर पहाड़ियों मैं चढ़कर घास काटना ताकि अपने औलाद की तरह प्यारे अपने जानवरो का पेट भरा जाए और इस के चलते एक चूक ,या फिर जरा सी गलती, जरा सा ध्यान हटना, या फिर कुछ भी आदि आदि
पहाड़ी से या पेड़ से गिरकर उनकी दुःखद दर्दनाक मौत हो जाना।


अब हाल ही कि घटना आपको बता दे कि उत्तरकाशी के मल्ला गांव की एक महिला पर भालू ने हमला कर उस महिला को बुरी तरह से घायल कर दिया
फ़िर महिला की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें उत्तरकाशी के लिए रेफर कर दिया गया था महिला का नाम मदनी देवी है
भालू के आतंक से गांव वाले लगातार परेशान हैं
मदनी देवी रोजाना की तरह अपने मवेशियों को चारा देने के लिए गौशाला मतलब छन्नी की ओर जा रही थी तभी भालू ने महिला पर हमला कर दिया
फिर महिला के शोर मचाने की आवाज सुनकर आसपास के लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई और लोगों के शोर मचाने से भालू भाग गया जिस वजह से महिला की जान तो बच गई पर
उनकी हालत को देखते हुए उन्हें देहरादून लाया गया है जहा एक निजी अस्पताल में उनका इलाज जारी
है मदनी देवी व उनके परिवार की आर्थिक हालत बहुत ख़राब है लिहाज़ा उन्होंने त्रिवेंद्र सरकार से आर्थिक साहयता की माग भी की है
ताकि मदनी देवी का ठीक से इलाज़ हो सके

बहराल मेरे पहाड़ मैं तेरे पहाड़ मैं पूर्व मुख्यमंत्री के पहाड़ मैं , वर्तमान मुख्यमंत्री के पहाड़ मैं, सभी मंत्री , नेता, दाईत्व धारियों के पहाड़ मैं , सभी सासंदो के पहाड़ों मैं, उत्तराखंड के नामीगिरामी अफसरों, फेमस, लोगो के पहाड़ मैं ये अक्सर इस प्रकार दुःखद जानकारी मिलती रहती है। किसी को बाघ मार देता, किसी पर भालू हमला कर देता, कोई गर्भावस्था के दौरान अच्छे इलाज़ के अभाव मैं दम तोड़देती , कोई कही दिन रात खेत मैं मेहनत करते करते थक जाते पर बंदर सुवर उनकी मेहनत पर पानी फेर देते।
बहुत कुछ है क्या क्या बोलू ओर क्या क्या लिखूं।
सिर्फ अब इतना कहता है बोलता उत्तराखंड की प्रचंड बहुमत की सरकार के राज में यदि पहाड़ के हालत नही सुधरे तो फिर कभी नही सुधर सकते ये कड़वा सच फिलहाल जिंदा है


लिहाजा त्रिवेंद्र सरकार से हर लिहाज मैं पहाड़ वासियो को आस है ख़ास कर तब से जब से गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी त्रिवेंद्र सरकार ने घोषित किया है और अब स्वतंत्रा दिवस के मौके पर झंडा फहरा कर त्रिवेंद्र रावत ने इतिहास भी रच दिया है और आज तो उन्होंने यह भी कह दिया है कि यदि पहाड़ की तस्वीर और तकदीर बदलनी है तो जनप्रतिनिधियों को रिवर्स पलायन करना होगा जो कड़वा सच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने बोला है
उम्मीद करते है कि त्रिवेंद्र के राज में जल्द ही कुछ और बढ़े महत्वपूर्ण कदम पहाड़ के विकास के लिए त्रिवेंद्र उठाते दिखगे।

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