उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2022
•श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 5 फरवरी बसंत पंचमी को तय होगी।
• श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 1मार्च शिवरात्रि पर तय होगी।
• श्री गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया 3 मई को खुलेंगे।
•रविवार को गाडू घड़ा तेल कलश मंदिर समिति ने श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में डिमरी पुजारियों को सौंपा।
•4 फरवरी शायंकाल गाडू घड़ा-तेलकलश
समिति के चंद्रभागा ऋषिकेश स्थित धर्मशाला में पहुंचेगा।
5 फरवरी राजमहल के सुपुर्द होगा तेल कलश
उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2022 की तैयारियां अब धीरे-धीरे शुरू हो रही है।
चारधाम – श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 5 फरवरी बसंत पंचमी के दिन नरेंद्र नगर राजदरबार में तय होगी।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय करने की प्रक्रिया के तहत श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने कल रविवार को श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ परिसर से गाडू घड़ा को योग बदरी पांडुकेश्वर हेतु रवाना किया। इससे पहले समिति ने खजाने में रखे पवित्र तेल कलश को डिमरी पंचायत प्रतिनिधि श्री राकेश डिमरी एवं अरूण डिमरी को सौंपा गया ।
आज पांडुकेश्वर से पूजा अर्चना पश्चात तेल कलश पुनः श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगा।
4 फरवरी को तेलकलश जोशी मठ से रवाना होकर मंदिर समिति की चंद्रभागा ऋषिकेश स्थित धर्मशाला में रात्रि विश्राम हेतु पहुंचेगा।
5 फरवरी को श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के प्रतिनिधि गाडू घड़ा तेल कलश नरेंद्र नगर राज दरबार के सुपुर्द करेंगे
कोरोना गाईड लाईन एवं ओमिक्रान के प्रकोप को देखते हुए 5 फरवरी बसंत पंचमी को प्रात: 10 बजे से अति संक्षिप्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में धार्मिक परंपरा विधि- विधान पंचाग गणना के अनुसार श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय होगी। इसी के साथ गाडू घड़ा तेलकलश हेतु राजमहल में तिलों के तेल को पिरोने की तिथि भी तय हो जायेगी।
यह तिलों का तेल श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर डिमरी पंचायत द्वारा श्री बदरीनाथ धाम पहुंचाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 1 मार्च शिवरात्रि के दिन तय होगी जबकि श्री गंगोत्री -यमुनोत्री धाम के कपाट परंपरागत रूप से 3 मई अक्षय तृतीया को खुलेंगे। औपचारिक घोषणा श्री गंगोत्री-यमुनोत्री मंदिर समितियों एवं तीर्थ पुरोहितगण करेंगे।