उत्तराखंड का किसान भविष्य की बुनियाद तैयार करने में जुटा 
( लघु एवं सीमांत किसान )
देश मे भले ही कृषि कानूनों को लेकर शोरगुल चल रहा हो 
पर इससे अलग देवभूमि उत्तराखंड में लघु एवं सीमांत किसान बेहतर भविष्य की बुनियाद तैयार करने में जुटे हैं। बता दे कि यहां के किसानों ने एफपीओ (किसान उत्पादक संघ) में यह आधार तलाशा है, जिसे केंद्र और राज्य, दोनों ही सरकारें प्रोत्साहित कर रही हैं। उत्तराखंड में सहकारिता विभाग के माध्यम से सौ एफपीओ के गठन का निर्णय लिया गया है, जिनसे 14 हजार किसान जुड़ेंगे। अभी तक विभिन्न जिलों में तीन हजार किसान पंजीकरण करा चुके हैं। एफपीओ का गठन होने के बाद ये किसान न सिर्फ अधिक मुनाफा कमाएंगे, बल्कि स्वयं मंडी भी संचालित करेंगे।
95 विकासखंडों वाले उत्तराखंड में गठित किए जाने वाले एफपीओ का गठन राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) के सहयोग से किया जाना है। एफपीओ के तहत करीब 22 गतिविधियां शामिल की गई हैं। इसके तहत उत्तरकाशी जिले में अखरोट, देहरादून के जौनसार बावर में सेब, बागेश्वर व अल्मोड़ा में मसाले, चंपावत में अदरक, टिहरी, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ में दालें, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली व अल्मोड़ा जिलों में मिलेट के एफपीओ प्रस्तावित हैं। इसके अलावा अन्य उत्पादों से संबंधित एफपीओ के गठन का निश्चय किया गया है।
बता दे कि पर्वतीय क्षेत्र में 80 एफपीओ गठित किए जाने हैं और प्रत्येक एफपीओ से 100 किसानों को जोड़ा जाना है। इसी तरह मैदानी क्षेत्र में 20 एफपीओ गठित होने हैं और प्रत्येक एफपीओ से 300 किसान जुड़ेंगे। इस प्रकार 14 हजार किसान सीधे तौर पर सौ एफपीओ से जुड़ेंगे। प्रत्येक एफपीओ की प्रबंध समिति होगी और इनसे जुड़े किसान विभिन्न फसलों का उत्पादन करने के साथ ही बिक्री भी करेंगे।
एफपीओ गठित होने के बाद वे स्वयं अपने उत्पादों को कहीं भी बेच सकेंगे। कोशिश ये भी है कि वे स्वयं मंडी स्थापित कर कृषि उत्पादों की बिक्री करें। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होगा।
अभी तक तीन हजार किसानों ने एफपीओ के लिए पंजीकरण कराया है।

 
 

