देहरादून: 35वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े (25 अगस्त से 8 सितम्बर) के अवसर पर हर साल की तरह श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में इस साल भी ज्ञानवर्धक और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शीर्षक ‘अंधता मिटाते हुए हमारे अभियान से जुड़ें‘ रखा गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार मेहता, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विनय राय, नेत्र रोग के विभागाध्यक्ष प्रो0 डॉ सुशोभन दास गुप्ता और नेत्रदान केन्द्र की प्रभारी प्रो0 डॉ. तरन्नुम शकील ने संयुक्त रूप से दीप-प्रज्वलित कर किया।

नेत्र रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुशोभन दास गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में संचालित नेत्रदान केन्द्र की सफलता के प्रेरणा स्त्रोत अस्पताल के चेयरमैन महंत देवेन्द्र दास जी महाराज हैं। महाराज जी के अमूल्य मार्गदर्शन और आशीष से नेत्रदान केन्द्र सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर एसजीआरआरआईएम और एचएस के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार मेहता और श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय राय द्वारा मिलने वाले बहुमूल्य परामर्श को भी नेत्रदान केन्द्र की सफलता का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि देश भर में नेत्रदान पखवाड़ा (25 अगस्त-8 सितम्बर) हर साल समाज में नेत्रदान हेतु जागरूकता और ज्ञानवर्धन करने हेतु मनाया जाता है। उन्होंने नेत्रदान से सम्बन्धित मिथकों और अंधविश्वासों को तोड़ते हुए इसे एक महान कार्य बताया।
अस्पताल के नेत्रदान केंद्र की प्रभारी प्रो0 डॉ. तरन्नुम शकील ने अपने संबोधन में नेत्रदान से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा नेत्रहीन लोगों को नेत्रज्योति प्रदान करने के मानवीय उद्देश्य और संकल्प के साथ सन 2012 में नेत्रदान केंद्र आई डोनेशन सेंटर) की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि तभी से नेत्रदान केंद्र अनेकों नेत्रदान लेकर बड़ी संख्या में नेत्रज्योति प्रदान करके इस खुबसुरत दुनिया को देखने का अवसर प्रदान कर चुका है।
डॉ. तरन्नुम शकील ने बताया कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ‘कीरैटोप्लास्टी‘ (मृत्यु-उपरान्त ऑखों की पुतली निकालने की प्रक्रिया) हेतु विशेषज्ञों और अनुभवी नेत्र सर्जनों, नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियनों की टीम उपलब्ध है। इसके अलावा अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर में नेत्र प्रत्यारोपण की सुविधा और 24 घंटे एम्बुलेंस सेवा से मृतक के घर जाकर विशेषज्ञों द्वारा ऑखों की पुतलियां निकालने की सम्पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध है।
डॉ. तरन्नुम शकील ने जानकारी दी कि कोरोना वायरस महामारी के बावजूद अस्पताल के नेत्रदान केंद्र ने मृतक दानदाताओं की 16 ऑखों की पुतलियां निकाली, 2 नेत्रप्रत्यारोपण भी किये। उन्होंने जानकारी दी की कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के दौरान नेत्रदान केंद्र आकर शपथ-पत्र भर सकता है ताकि मृत्यु के बाद उसके नेत्र किसी नेत्रहीन की ज्योति बन सके। उन्होंने कहा कि अस्पताल नेत्र बैंक स्थापित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। नेत्रदान के इच्छुक व्यक्ति अथवा मृतक के परिजन अस्पताल के नेत्रदान केंद्र के सूरज से 0135-6672400 (एक्सटेंशन 205, 624) अथवा मोबाइल नं0 9690790809 या सुमित मोबाइल नंबर 9520329258 या 8535073474 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
यदि किसी ने जीते जी नेत्रदान का शपथ-पत्र नहीं भरा है तो उसकी मृत्यु हो जाने पर उसके परिजन नेत्रदान केंद्र की टीम ऑखों की पुतलियां निकालने हेतु बुला सकते हैं। उन्होंने कहा कि नेत्रदान में लिंग, धर्म, जाति इत्यादि कोई बाधा नहीं है, कोई भी नेत्रदान कर सकता है। इसके लिए जीते जी उसे नेत्रदान का शपथपत्र भरना पड़ेगा और उसके मरणोपरांत नेत्रदान सम्भव हो सकेगा।
कार्यक्रम में नेत्रदान करने हेतु उत्साहित करने हेतु ज्ञानवर्धक और जागरूकतापरक तस्वीरें भी दिखाये गए। कार्यक्रम में नेत्रदान कर चुके मृतकों के परिजनों ने भी भाग लिया जिन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। नेत्र रोग विभाग की डॉ. समदिशा को नेत्रदान करने हेतु उत्साह पैदा करने के सर्वश्रेष्ठ नारे ‘कितना अच्छा होगा जब हमारे जाने के बाद भी हमारी आंखें इस रंग बिरंगी दुनिया को देख पाएंगी ‘ का पुरस्कार प्रदान किया गया।