लैंड जिहाद पर धामी के बुलडोजर अटेक के बाद धामी का नया ‘लाउडस्पीकर मॉडल’
सुर्खियां बटोरने लगा है… लाउडस्पीकर को लेकर ताबड़तोड़ एक्शन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार सरकार के कार्यों पर अपनी छाप छोड़ते नजर आ रहे हैं। , माफियाओं, भ्रष्टाचारियों.. लैंड जिहाद
के खिलाफ पहले ही धामी का बुलडोजर गरज रहा है..
वही धामी द्वारा लिए गए कठोर फैसलों को पूरे देश में कई जगह की सरकारें भी धामी मॉडल को अपनाती दिख रही हैं
अब इसी चलते धामी का नया ‘लाउडस्पीकर मॉडल’
सुर्खियां बटोरने लगा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद पूरे उत्तराखंड में मंदिरों से लेकर मस्जिदों तक पर लाउडस्पीकर को लेकर ताबड़तोड़ एक्शन चल रहा है।
जहा भी अवैध लाउडस्पीकर हैं उसे उतरवा जा है और जो वैध हैं, वहां आवाज को नियंत्रित किया जा रहा हैं ….

पहले समझिए ये लाउडस्पीकर की बात शुरू कब से हुई थी?

दरअसल 17 साल पहले 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकर बजाने को लेकर आदेश दिया था। कोर्ट ने साफ किया था कि ऊंची आवाज यानी तेज शोरगुल सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है। लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है लेकिन ये आजादी जीवन के अधिकारी से ऊपर नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि किसी को भी इतना शोर करने का अधिकार नहीं है कि पड़ोसियों और दूसरे लोगों को परेशानी हो। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से ज्यादा नहीं होगी। जहां भी तय मानकों का उल्लंघन हो, वहां लाउडस्पीकर और उपकरण जब्त करने के बारे में राज्य प्रावधान करे।

धामी सरकार का सख्त आदेश पर धार्मिक स्थलों से उतारे जा रहे हैं लाउडस्पीकर..

बता दें कि धामी सरकार ने सख्त आदेश दिए हैं कि मस्जिद, मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारे जाएं और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कराया जाए। जिसके बाद नैनीताल जिले में एक दर्जन से ज्यादा मस्जिदों और दो मंदिरों से लाउडस्पीकर उतरवा कर पुलिस ने जब्त कर लिए हैं।

एसएसपी पंकज भट्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी धार्मिक स्थल पर ऐसे लाउडस्पीकर से प्रार्थना सभा या अन्य धार्मिक प्रचार नहीं किया जा सकता, जिसकी वजह से आसपास के लोगों को परेशानी होती हो। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों चल रही परीक्षाओं के दौरान भी इस तरह की शिकायतें सामने आई थीं। एसएसपी भट्ट ने बताया कि शासन से आदेश आने के बाद हमारी टीम जिले के अलग-अलग स्थानों से एक दर्जन से ज्यादा धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाकर जब्त कर लिया है। इनमें मस्जिद और दो मंदिर भी शामिल हैं।

एसएसपी ने कहा कि हमने पहले भी ये चेतावनी दी थी कि मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारे आदि में ध्वनि विस्तारक यंत्र नहीं लगाएं। माइक स्पीकर लगा सकते हैं, किंतु उनकी आवाज परिसर से बाहर नहीं सुनाई देनी चाहिए। किसी को कानून तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
वही पुलिस-प्रशासन ने राजधानी देहरादून की मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर भी उतरवा दिए है जिसके विरोध में मुस्लिम सेवा संगठन ने डीएम कार्यालय का घेराव कर रोष भी जाहिर किया।
बता दें कि राजधानी देहरादून में पुलिस-प्रशासन द्वारा सभी धार्मिक स्थलों की जानकारी एकत्र की जा रही है कि कहां-कहां ध्वनि विस्तारक यंत्र लगे हुए हैं। इन्हें पुलिस-प्रशासन द्वारा उतरवाया जा रहा है। मस्जिदों की ऊंची मीनारों पर लगे लाउडस्पीकर उतरवा दिए गए हैं, जिसका लगभग सभी मस्जिदों में मौजूद लोगों ने विरोध किया है। जहां पुलिस ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाने आए हैं। पुलिस अधिकारियों ने लोगों को कोर्ट के आदेश समझाए कि अब धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाए नहीं जा सकते हैं। पुलिस ने एक दर्जन से अधिक मस्जिदों के स्पीकर उतरवा दिए हैं।
पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध करने के लिए मुस्लिम सेवा संगठन द्वारा एक मुहिम चलाई जा रही है, जिसके तहत उनके द्वारा डीएम देहरादून कार्यालय का घेराव कर ज्ञापन सौंपा गया। मुस्लिम सेवा संगठन के लोगो ने कहा कि. हम लाउडस्पीकर की आवाज को नियंत्रण मैं रखेंगे .. मतलब
कम रखेंगेओर इस बात को अमल में लेकर आएंगे
बता दें कि हल्द्वानी, नैनीताल, रामनगर आदि शहरों में भी मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाए गए हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here