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द ल्या साब यी छन तिमला कुछ जगहों मां यों तैं तिमूल भी बोलदन

द ल्या साब यी छन तिमला कुछ जगहों मां यों तैं तिमूल भी बोलदन

Featured, उत्तरकाशी, उत्तराखंड, पहाड़ की बात, पौड़ी गढ़वाल
   द ल्या साब यी छन तिमला कुछ जगहों मां यों तैं तिमूल भी बोलदन,यी पेट का खातिर बहुत अच्छी औसधीय गुण वालु फल ची आज सौभाग्य वस मेरा गौं मोळ्था जाखणीधार तहसील घणसाली टिहरी सी क्वी मेरू पारिवारिक बन्धु यौं तिमलौं तै लीक आई जौंकु स्वाद आज मैन बच्चौं का दगडा लिनी जु कुछ कच्चा भी छन,कुछ लोग यौंकू अचार भी डालदन जौंकू स्वाद भलू सुन्दर होन्दू आप लोग भी यौं कू रसास्वादन कन्ना क सादर आमन्त्रित छन । बल गौं कु खुद लकदु ,धन्यवाद ये है टिमला कुछ इसे तीमली भी कहते हैं ,आज मेरे गाँव मोल्था ,जाखणिधार ,तहसील घनसाली ,टिहरी से टिमला कोई परिवार का बंधु लाया मैंने बच्चों के साथ खाए व जो थोड़े कच्चे हरे हैं ,उनका अचार बनाना है ,बल ग़ों कु खुद लगदु।   वैसे तो उत्तराखण्ड में बहुत सारे बहुमूल्य जंगली फल बहुतायत मात्रा में पाये जाते हैं जिनको स्थानीय लोग, पर्यटक तथा चारावाह बडे चाव से खाते हैं, जो ...
आपकी प्रचंड बहुमत  वाली सरकार :  के  ये  रहे आज  के   कैबिनेट  के निर्णय

आपकी प्रचंड बहुमत वाली सरकार : के ये रहे आज के कैबिनेट के निर्णय

Featured, उत्तराखंड
आज कैबिनेट निर्णय की जानकारी शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने दी। तारीख 18 जून 2020 की कैबिनेट की बैठक 1. आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत गाइडलाइन को सरल किया गया। इसके अंतर्गत अब छोटे पुल पेयजल लाईन, चैक डेम, स्कूल भवन, सिंचाई नहर सुरक्षात्मक कार्य भी किया जा सकेगा। 2. राज्य सरकारी एवं सार्वजनिक चीनी मिल के लिए एक एथनौल प्लांट बाजपुर में पी.पी.पी. मोड में 100 के.एल.पी.डी क्षमता का प्लांट बाजपुर में लगाया जाएगा। 3. सहकारिता नियमावली में संशोधन के तहत अब समिति को एक निश्चित धनराशि की जगह लाभ के आधार पर ट्रेनिंग इत्यादि के लिए प्रदान किया जाएगा। 4. भीमताल केन्द्रीय विद्यालय के 0.25 हेक्टेयर भूमि आवंटन के लिए जाने वाले सर्किल रेट 02 करोड़ रूपये को माफ किया गया। 5. अल्मोड़ा कुंम्ट्रान लिमिटेड के 1999 बंद हो जाने के बाद 11 कर्मचारियों को पुर्ननियोजित हेतु 06 कर्मचारी आपूर्ति विभाग में लगाये गए थे...
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से गाड़ियों के काफिला में चीन सीमा क्षेत्र के लिए रवाना हुए सैनिक

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से गाड़ियों के काफिला में चीन सीमा क्षेत्र के लिए रवाना हुए सैनिक

Featured, उत्तराखंड, खबर, पहाड़ की बात, पिथौरागढ़
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से गाड़ियों के काफिला में चीन सीमा क्षेत्र के लिए रवाना हुए सैनिक, तो घर छुट्टी पर गए जवानों को भेजा वापसी का बुलावा । आपको बता दे कि लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर चीन सेना के साथ तनातनी और मुठभेड़ के बीच पहाड़ी राज्य  उत्तराखंड के सीमांत जनपद की ओर से भी भारत-चीन सीमा पर भी सैन्य गतिविधियां तेज हो गई हैं। कल  बुधवार देर रात को सेना के लगभग 6 दर्जन से अधिक वाहनों में भारतीय सैनिक चमोली से लगे चीन सीमा क्षेत्र के लिए रवाना हुए हैं सूत्रों ने बताया कि सीमा क्षेत्र में सतर्कता बरती जा रही है। पर्याप्त मात्रा में हथियार और तोप भी सीमा क्षेत्र में भेजी गई हैं। तो वही छुट्टी पर गए आईटीबीपी और सेना के जवानों की छुट्टियां रद्द कर शीघ्र ड्यूटी ज्वाइन करने के आदेश हो गए हैं। उधर धारचूला के पिथौरागढ़ में जौलजीबी, बलुवाकोट, धारचूला से लेकर व्यास घाटी के कालापानी तक नेपाल सी...
उत्तराखंड के सुमाड़ी को एनआईटी के बनने का  इंतजार:    मानव संसाधन विकास मंत्री  निशंक ने  बन  रहे एनआईटी पर समीक्षा बैठक की

उत्तराखंड के सुमाड़ी को एनआईटी के बनने का इंतजार: मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक ने बन रहे एनआईटी पर समीक्षा बैठक की

Featured, उत्तराखंड, खबर, खबर दिल्ली से, देहरादून, पहाड़ की बात, पहाड़ की बात, हिमाचल
मानव संसाधन विकास मंत्री ने उत्तराखंड में बन रहे एनआईटी पर समीक्षा बैठक की ख़बर नई दिल्ली से 17 जून 2020: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सुमाड़ी, उत्तराखंड, में बन रहे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के कार्यान्वन और क्रियान्वन की आज समीक्षा बैठक की. इस अवसर पर मंत्रालय की वित्त सचिव दर्शना डबराल, अपर सचिव मदन मोहन, केंद्रीय विद्यालय कमिश्नर संतोष मल, संयुक्त सचिव स्वीटी चांसन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. इसके अलावा बाकि के एनआईटी, खासकर 2010 में स्थापित किये गए 10 नए संस्थानों, की भी समीक्षा की गई. इस अवसर पर माननीय मंत्री ने कहा, "केंद्रीय कैबिनेट ने 2019-20 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को स्थापित करने के लिए 1800 करोड़ रुपये दिए गए हैं. मुझे यह बताते हुए बेहद गर्व और ख़ुशी हो रही है कि त्रिची, सूरतकल, वारंगल, जयपुर, राउरकेला और गो...
उत्तराखंड के चमोली से लगी चीन सीमा क्षेत्र में सेना और आईटीबीपी मुस्तैद है

उत्तराखंड के चमोली से लगी चीन सीमा क्षेत्र में सेना और आईटीबीपी मुस्तैद है

Featured, उत्तराखंड, चमोली, पिथौरागढ़
उत्तराखंड के चमोली से लगी चीन सीमा क्षेत्र में सेना और आईटीबीपी मुस्तैद है आपको बता दे कि उत्तराखंड के चमोली से लगे चीन सीमा क्षेत्र में सेना और आईटीबीपी मुस्तैद है। वही लद्दाख में तनाव को देखते हुए भारी संख्या में सेना के जवान दो सप्ताह पहले ही सीमा क्षेत्र में चले गए थे। आपको बता दे कि मंगलवार रात को कुछ सेना के वाहन मलारी से जोशीमठ की ओर आते दिखाई दिए। क्षेत्र में सेना की आवाजाही भी सामान्य है। जिससे अंदाज लगाया जा सकता है कि सीमा पर अभी सब कुछ ठीक है। वही एसडीएम जोशीमठ अनिल चन्याल ने बताया कि सीमा क्षेत्र में सब सामान्य है। आईटीबीपी की ओर से न तो स्थानीय लोगों की आवाजाही रोकी गई है और न ही बुग्यालों में पहुंचे भेड़ बकरी चरवाहों को वापस भेजने को लेकर कोई बात की है। वही नाभीढांग से लिपुपास तक आठ किमी के दायरे में सुरक्षा बढ़ाई गई है लद्दाख की गलवां घाटी में चीन की सेना से हिंसक ...
कड़वा सच है :गांव के लोगों को यह समझाना पानी पर पानी लिखना जैसा कठिन कार्य है,  आज  बाहरी व्यक्ति बीमारी का दूत  माना जा रहा है ।

कड़वा सच है :गांव के लोगों को यह समझाना पानी पर पानी लिखना जैसा कठिन कार्य है, आज बाहरी व्यक्ति बीमारी का दूत  माना जा रहा है ।

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  इस घर में एकांतवास पर हूं। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने राज्य के नागरिकों के लिए राज्य में एक से दूसरे जिले में जाने पर क्वारंटीन की व्यवस्था समाप्त कर दी है, लेकिन गांव के लोगों को यह समझाना पानी पर पानी लिखना जैसा कठिन कार्य है। इसलिए क्वारंटीन न रहते हुए भी क्वारंटीन होना मेरी मजबूरी है। इस समय मेरा भरा-पूरा गांव है, अनेक लोग शहरों‌ से आए हुए हैं, पर मैं चाहकर भी किसी के घर नहीं जा रहा हूं, मेरे अगल-बगल के घरों में रहने‌ वालों को भी मेरे आने की खबर और गतिविधियों की जानकारी फेसबुक और व्हट्सअप से मिल रही होगी। गांव के लोगों के साथ रहने का इस बार अनोखा आभासी एहसास है, उनसे मुखातिब नहीं होने का रंज है। जैसे आत्मा का वास हमारे शरीर में होता है, उसका एहसास होता है,पर दिखाई नहीं देती। गांव के लोगों का मन ज्यादा साफ होता है। साफ चीजों पर बातें अच्छे से अंकित होती हैं। कोरोना को ल...
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के नाॅन कोविड लोकप्रिय श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल मे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के चलते बडी मरीजों की तादाद

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के नाॅन कोविड लोकप्रिय श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल मे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के चलते बडी मरीजों की तादाद

Featured, उत्तराखंड, खबर, गुरु राम राय एजुकेशन मिशन/ हेल्थ / दरबार साहिब, देहरादून
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के नाॅन कोविड लोकप्रिय श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल मे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के चलते बडी मरीजों की तादाद यहा मास्क, सोशियल डिस्टेंसिंग व आवश्यक सावधानियां का किया और कराया जा रहा है सख्त पालन। यहां पर  नई तकनीक से होने वाले आपरेशन, सुपरस्पेशलिटी आपरेशन, ओर डिलीवरी के लिए आ रहे है लगातार मरीज । पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून मे नाॅन कोविड श्रेणी का अस्पताल होने के कारण भी लोकप्रिय श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में मरीजों की तादाद लगातार बढ़ने लगी है। हम सभी जानते है कि इससे पहले मार्च से मई तक जनता कफ्र्यू व लाॅकडाउन के बाद कुछ समय के लिए लोगों ने सुरक्षा दृष्टिकोण से अस्पतालों में जाने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई थी, लेकिन अब अनलाॅक-1 में स्थिति काफी हद तक सामान्य होने लगी है। ओर जो जरूरी है जैसे मास्क, सोशियल डिस्टेंसिंग...
उत्तराखंडियत  पहाड़ का ही दूसरा नाम है हीरासिंह राणा:   डॉक्टर अजय   ढोण्डियाल  की कलम से

उत्तराखंडियत पहाड़ का ही दूसरा नाम है हीरासिंह राणा: डॉक्टर अजय   ढोण्डियाल  की कलम से

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  हीरासिंह राणा को परिभाषित करना असंभव है। हर शब्द अपूर्ण है। कुछ भी पर्याय नहीं। है तो बस, उत्तराखंडियत। पहाड़ का ही दूसरा नाम है हीरासिंह राणा। 15 साल में जो कलम उठाई तो जैसे पहाड़ बोलने लगा। 60 के दशक की शुरुआत में इस कलम से पहले शब्द फूटे- आलिली बाकरी लिली...पहाड़ के ग्वाले के रूप में दूसरे के खेत में (परदेस) में उज्याड़ खाने जा रही (पलायन) बकरी को उनकी कलम ने धाद लगानी शुरू की तो ये सिलसिला मई 2020 तक नहीं थमा। इसी दशक में इस कलम ने 'मैं ले छौं ब्यचो एक, मनखौं पड़्यों मैं...ठाड़ी रौं न्यरा न्यैरी हजूरों की स्यो मैं' पंक्ति के जरिए खुद की बोली लगाई। लेकिन उसका खरीदार भला कहां मिलता। फक्कड़ की यायावरी शुरू हुई। वो आंखें बस पहाड़ को ही देखती थीं और उनमें सिर्फ पहाड़ बसा था। कलम की धार मुंबई तक ले गई लेकिन चकाचौंध रास न आई। हुड़के ने अपनी घमक गहरी करने के लिए वापस बुला लिया। अचकाल ...
बोल पहाड़ी बोल : राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय का दम्भ भरने वाले पीठ दिखा भागे पहाड़ से : अजय रावत

बोल पहाड़ी बोल : राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय का दम्भ भरने वाले पीठ दिखा भागे पहाड़ से : अजय रावत

Featured, उत्तराखंड, पहाड़ की बात, सोशल मीडिया/इंवेट/मेले/कौथिग
■राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय का दम्भ भरने वाले पीठ दिखा भागे पहाड़ से■ सुना है 'जन सरोकारों' का मुलम्मा चढ़ाकर 'खबरें' बेचने वाली कम्पनियों के लाला, जो राष्ट्रीय होने का दम्भ भर सीना फुलाते न थकते हैं, पहाड़ में उनका दम फूलने लगा है। एक-एक कर अपनी 'फ्रैंचाईजी' को बन्द करने का सिलसिला शुरू कर चुके हैं। सबसे पहले बात करें, उस 'ब्रैंड' की, जिसके बाबत कहा जाता था कि पहाड़ियों में '27 नम्बर' बीड़ी और 'अमर उजाला' का स्वाद लत की तरह शामिल है, सौभाग्य/दुर्भाग्य से मैंने भी पत्रकारिता की शुरुआत इसी ब्रैंड से की। लेकिन लाला जी की नई और बेहद प्रॉफेसनल पीढ़ी ने फ़ैसला किया है कि पहाड़ से पैसा तो बिना फ्रेंचाइजी के भी कमाया जा सकता है। सो सारे ऑफिस बन्द कर 'मनरेगोत्तर' दिहाड़ी वाले 'पतरकारों' को सड़क पर ला खड़ा कर दिया। आजादी से पहले के प्रतिष्ठित अखबार 'हिंदुस्तान' ने भी न केवल गुप् चुप तरीके से पहाड़ की...
सुनो पहाड़ी राज्य की सरकार :  आखिर  क्यो नही मिली देवताओ के इस  फल  को  बड़े स्तर पर पहचान ?

सुनो पहाड़ी राज्य की सरकार : आखिर क्यो नही मिली देवताओ के इस फल को बड़े स्तर पर पहचान ?

Featured, उत्तराखंड, पहाड़ की बात, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग
देवताओं का पसंदीदा फल, सिर्फ इस समय ही रहता है ताज़ा आपका ओर हामरा काफल क्या आप जानते है कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पाए जाने वाले काफल को देवों का फल माना जाता है! जी हा पहाड़ी राज्य आपका  उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के लिए काफी मशहूर है। ओर इसके पहाड़ी इलाकों में कई तरह के फल-फूल पाए जाते हैं, जिनकी अपनी अलग विशिष्टता होती है। आज हम आपको पहाड़ राज्य मे उत्तराखंड में पाए जाने वाले एक ऐसे ही फल का जिक्र कर रहे जो जो वाकई में काफी अनोखा है। ओर इस फल को काफल के नाम से जाना जाता है। हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले इस पहाड़ी फल की बनावट शहतूत की तरह होती है। गर्मियों में पाए जाने वाले काफल जब कच्चा रहता है तो हरे रंग का होता है लेकिन पकने पर ये लाल और काले रंग का हो जाता है। इसका स्वाद कुछ खट्टा और कुछ मीठा होता है। हमारे पहाड़ी राज्य के लोगों में काफल एक  रोजगार का एक जरिया...