सत्ता, सियासत और सिंहासन कब बदल जाए, इसकी भविष्यवाणी राजनीतिक पंडित भी नहीं कर पाते। ताजा उदाहरण उत्तराखंड का है। महज 20 साल पहले बने इस पहाड़ी राज्य में एक मुख्यमंत्री के सिवाय कोई 5 साल तक कुर्सी संभाल नहीं सका। वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी इस सूची में शामिल होने वाले है। उन्होंने जेपी नड्डा को अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि सीएम तीरथ की जगह दुबारा त्रिवेंद्र सिंह रावत को दी जा सकती है।
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के रिटर्न होने की खबरे तेज हो गई है। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है कि पार्टी के पास सीएम त्रिवेंद्र को पद से हटाने के लिए कोई बड़ा कारण नहीं रहा है और उन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य में कई कार्य किए है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तकरीबन चार साल तक बतौर मुख्यमंत्री राज्य की सत्ता संभाली थी। वह विधायक भी है।विधानसभा चुनाव को देखते हुए त्रिवेन्द्र सिंह रावत को उनकी कुर्सी वापस इसलिए भी मिल सकती है क्योकि उनके पास भाजपा के साथ-साथ अपनी मुख्यमंत्री काल की उपलब्धियों का लेखा जोखा है। वह जनता के समक्ष अपने कार्य रख सकते है।
एक राजनैतिक जानकार और प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री बदलने का खेल खेलने से उत्तराखंड में भाजपा की खराब हुई साख को कुछ हद तक भाजपा कंट्रोल कर सकती है। इनका मानना है कि चुनाव में अगर भाजपा को जनता को जबाब देना है तो एक बार फिर त्रिवेन्द्र सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपी जानी चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि तीसरे मुख्यमंत्री का कार्यकाल इतना कम होगा कि उसके काम पर जनता के बीच जाकर भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं के पास कुछ नहीं होगा। अगर भाजपा अपनी सरकार के नाम पर वोट मांगने जनता के बीच जायेगी तो उसे इस बात का भी जबाब देना होगा कि प्रचंड बहुमत के बाद भी आपकी सरकार स्थिर नहीं रह पाई।
आपको बता दें कि उत्तराखंड के निर्माण के बाद से अब तक सिर्फ एनडी तिवारी ही एकमात्र मुख्यमंत्री रहे हैं जिन्होंने राज्य की सत्ता में बतौर सीएम पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है अन्यथा अब तक कोई दूसरा सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। एनडी तिवारी के बाद उत्तराखंड में सबसे ज्यादा दिन बतौर सीएम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रहे हैं जिनका कार्यकाल लगभग 4 सालों का रहा है।