देहरादून : पूर्व सीएम हरीश रावत ने लिखा कि, “मेरे लिये उत्तराखंड जिंदाबाद, 1 करोड़ 27 लाख उत्तराखंडी भाई-बहनों की जिंदाबाद है। इस जिंदाबाद में उत्तराखंड का भूगोल, पर्यावरण, संस्कृति, परंपराएं और वस्त्र आभूषण, खान-पान, हमारा शिल्प, हमारी भाषा-बोली, हिमालय, गंगा-यमुना, हमारे सुंदर-सुंदर जंगल, लहराते हुये खेत-खलियान और हमारी तरक्की का प्रतीक उद्योग धंधे आदि सभी सम्मिलित हैं। मेरा यह जिंदाबाद, मुझे ही ललकारता है और कहता है कि गरीब के चेहरे पर यह गहरी उदासी, नित्य प्रतिदिन और क्यों गहरी होती जा रही है? उत्तराखंड के बुढ़ापे की कमर और क्यों झुकती जा रही है? गांव निरंतर खाली हो रहे हैं, यह जिंदाबाद मुझसे पूछता है कि गरीब व बुढ़ापे की मदद के लिए तुम्हारे हाथ आगे क्यों नहीं बढ़ रहे हैं? नौजवान की बुझी-बुझी सी आंखें और सूखे पपड़ी दार होंठ क्या चीख-चीख कर नहीं कह रहे हैं कि हमें एक ऐसी सरकार चाहिये जो 75 हजार से लेकर 1 लाख तक सरकारी नौकरियां पैदा करें और 3 लाख से अधिक रोजगार सृजित करे, पुरुष और महिला के भेद किये बिना प्रत्येक उम्र के गरीब के लिये क्या गरीबी की पेंशन की लाठी उनके हाथ में नहीं थमाई जा सकती है?
आगे उन्होंने लिखा कि, “आज जब मेरे पांव अपने घर से भराड़ीसैंण की ओर बढ़ रहे हैं, इन भावों के मन में आते ही एक स्वाभाविक स्फूर्ति पैदा हो रही है। उत्तराखंड राज्य की सार्थकता, दरिद्रता, गरीबी और असहायता व बेरोजगारी की उन्मूलन में ही निहित