Saturday, February 22News That Matters

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कड़वा सच है :गांव के लोगों को यह समझाना पानी पर पानी लिखना जैसा कठिन कार्य है,  आज  बाहरी व्यक्ति बीमारी का दूत  माना जा रहा है ।

कड़वा सच है :गांव के लोगों को यह समझाना पानी पर पानी लिखना जैसा कठिन कार्य है, आज बाहरी व्यक्ति बीमारी का दूत  माना जा रहा है ।

Featured, Uncategorized, उत्तराखंड, खबरों का पोस्टमार्टम, टिहरी गढ़वाल, पहाड़ की बात, पौड़ी गढ़वाल, विडिओ
  इस घर में एकांतवास पर हूं। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने राज्य के नागरिकों के लिए राज्य में एक से दूसरे जिले में जाने पर क्वारंटीन की व्यवस्था समाप्त कर दी है, लेकिन गांव के लोगों को यह समझाना पानी पर पानी लिखना जैसा कठिन कार्य है। इसलिए क्वारंटीन न रहते हुए भी क्वारंटीन होना मेरी मजबूरी है। इस समय मेरा भरा-पूरा गांव है, अनेक लोग शहरों‌ से आए हुए हैं, पर मैं चाहकर भी किसी के घर नहीं जा रहा हूं, मेरे अगल-बगल के घरों में रहने‌ वालों को भी मेरे आने की खबर और गतिविधियों की जानकारी फेसबुक और व्हट्सअप से मिल रही होगी। गांव के लोगों के साथ रहने का इस बार अनोखा आभासी एहसास है, उनसे मुखातिब नहीं होने का रंज है। जैसे आत्मा का वास हमारे शरीर में होता है, उसका एहसास होता है,पर दिखाई नहीं देती। गांव के लोगों का मन ज्यादा साफ होता है। साफ चीजों पर बातें अच्छे से अंकित होती हैं। कोरोना को ल...
उत्तराखंडियत  पहाड़ का ही दूसरा नाम है हीरासिंह राणा:   डॉक्टर अजय   ढोण्डियाल  की कलम से

उत्तराखंडियत पहाड़ का ही दूसरा नाम है हीरासिंह राणा: डॉक्टर अजय   ढोण्डियाल  की कलम से

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  हीरासिंह राणा को परिभाषित करना असंभव है। हर शब्द अपूर्ण है। कुछ भी पर्याय नहीं। है तो बस, उत्तराखंडियत। पहाड़ का ही दूसरा नाम है हीरासिंह राणा। 15 साल में जो कलम उठाई तो जैसे पहाड़ बोलने लगा। 60 के दशक की शुरुआत में इस कलम से पहले शब्द फूटे- आलिली बाकरी लिली...पहाड़ के ग्वाले के रूप में दूसरे के खेत में (परदेस) में उज्याड़ खाने जा रही (पलायन) बकरी को उनकी कलम ने धाद लगानी शुरू की तो ये सिलसिला मई 2020 तक नहीं थमा। इसी दशक में इस कलम ने 'मैं ले छौं ब्यचो एक, मनखौं पड़्यों मैं...ठाड़ी रौं न्यरा न्यैरी हजूरों की स्यो मैं' पंक्ति के जरिए खुद की बोली लगाई। लेकिन उसका खरीदार भला कहां मिलता। फक्कड़ की यायावरी शुरू हुई। वो आंखें बस पहाड़ को ही देखती थीं और उनमें सिर्फ पहाड़ बसा था। कलम की धार मुंबई तक ले गई लेकिन चकाचौंध रास न आई। हुड़के ने अपनी घमक गहरी करने के लिए वापस बुला लिया। अचकाल ...
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जी क्या  2  मार्च से  उत्तराखंड  में अनिश्चित कालीन हड़ताल होगी या सरकार रोक लेगी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जी क्या 2  मार्च से उत्तराखंड में अनिश्चित कालीन हड़ताल होगी या सरकार रोक लेगी

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देहरादून की सड़कों  पर आज  प्रमोशन पर लगी रोक न हटाए जाने पर बृहस्पतिवार को जनरल ओबीसी कर्मचारियों का वो सैलाब उमड़ा जिसे हर कोई देखता ही रह गया देहरादून के परेड मैदान में सभा करने के बाद हजारों कर्मचारी हुजूम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के आवास की ओर कूच के लिए निकल पड़े। वही इस दौरान प्रदर्शनकारी त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते नजर आए।  उन्होंने प्रमोशन पर लगी रोक न हटाए जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी तक दे डाली। तो वही इस दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री रामबिलास पासवान का पुतला भी फूंका। आपको बता दे कि बीच मै रूट चेंज करने पर कर्मचारियों और पुलिस मे आपस मैं खूब नोकझोंक भी हुई। ये रैली पहले दर्शनलाल चौक से घंटाघर होकर जानी थी, लेकिन बाद मै पुलिस ने उन्हें एस्लेहॉल की तरफ भेजा है।  वही रैली के हाथीबड़कला पहुंचने पर पुलिस ने बैरीकेड्स लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। इस...
Snowfall in Uttarakhand: बर्फबारी ने तोड़ा 25 साल का रिकॉर्ड, निचले इलाकों में भी असर

Snowfall in Uttarakhand: बर्फबारी ने तोड़ा 25 साल का रिकॉर्ड, निचले इलाकों में भी असर

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Snowfall in Uttarakhand पहाड़ों में बर्फबारी और मैदानों में बारिश होने से उत्तराखंड में जबरदस्त ठंड पड़ रही है. इस बार की बर्फबारी ने पिछले कई साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. इस तरह का हिमपात बहुत लंबे समय बाद हुआ है. स्थानीय व्यापारियों और किसानों के लिए फायदेमंद ये बर्फबारी मौसम विभाग का अनुमान,  12 जनवरी तक हो सकता है मौसम साफ उत्तराखंड में इस बार जमकर बर्फबारी हो रही है. इस बार की बर्फबारी ने पिछले 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मौसम विभाग की माने तो पिछले सालों की तुलना में इस साल ज्यादा बर्फबारी देखने को मिल रही है. कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक के ऊंचे इलाको में बर्फ की सफेद चादर के साथ-साथ इस बार निचले इलाकों में भी बर्फबारी हुई है. पहाड़ों में बर्फबारी और मैदानों में बारिश होने से उत्तराखंड में जबरदस्त ठंड पड़ रही है. इस बार की बर्फबारी ने पिछले कई साल के रिकॉर्ड ...
सुबह-सुबह उत्तराखंड में महसूस किए गए भूकंप के झटके

सुबह-सुबह उत्तराखंड में महसूस किए गए भूकंप के झटके

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उत्तराखंड के बागेश्वर में शनिवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि इस भूकंप की वजह से किसी भी किस्म की क्षति की खबर सामने नहीं आई है. सुबह भूकंप से दहला उत्तराखंड का बागेश्वर रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता रही 4.7 उत्तराखंड के बागेश्वर में शनिवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर भूकंप आया. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.7 रही. हालांकि, जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. इससे पहले इंडोनेशिया के रिसॉर्ट द्वीप बाली को 6.3 तीव्रता के भूकंप के झटकों ने गुरुवार को हिलाकर रख दिया था.  हालांकि सुनामी को लेकर कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया था. भूकंप स्थानीय समय अनुसार बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात 1.12 बजे आया, जिसका केंद्र पूर्वी जावा प्रांत के 69 किलोमीटर उत्तर-पूर्व बंगकलान में समुद्र तल से 636 किलोमीटर की गहराई पर था. भूकंप का केंद्र बेह...
सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

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नारी शक्ति को हल्के में न ले सरकार देवबंद (सहारनपुर)। नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में महिलाओं का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन 14वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे। रविवार को छुट्टी होने के चलते ईदगाह मैदान में लोगों की भारी भीड़ जमा रही। लोग रुक रुककर हिंदुस्तान जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। इस दौरान रजिया मंसूर ने हम पूरे देश की आवाज हैं और सरकार को हमारी बात सुननी ही होगी, क्योंकि सेक्यूलर समाज हमारे साथ खड़ा है। मरयम राशिद और जेबा ने कहा कि देश की बेटियां संविधान की रक्षा के लिए सड़क पर उतर आई है। इसलिए सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करें। सना ने कहा कि नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए कुछ ताकतें लगातार साजिश रच रही हैं। देशभर में सीएए के विरोध में चलने वाले विरोध प...
सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

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नारी शक्ति को हल्के में न ले सरकार देवबंद (सहारनपुर)। नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में महिलाओं का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन 14वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे। रविवार को छुट्टी होने के चलते ईदगाह मैदान में लोगों की भारी भीड़ जमा रही। लोग रुक रुककर हिंदुस्तान जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। इस दौरान रजिया मंसूर ने हम पूरे देश की आवाज हैं और सरकार को हमारी बात सुननी ही होगी, क्योंकि सेक्यूलर समाज हमारे साथ खड़ा है। मरयम राशिद और जेबा ने कहा कि देश की बेटियां संविधान की रक्षा के लिए सड़क पर उतर आई है। इसलिए सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करें। सना ने कहा कि नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए कुछ ताकतें लगातार साजिश रच रही हैं। देशभर में सीएए के विरोध में चलने वाले विरोध प...
सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

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नारी शक्ति को हल्के में न ले सरकार देवबंद (सहारनपुर)। नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में महिलाओं का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन 14वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे। रविवार को छुट्टी होने के चलते ईदगाह मैदान में लोगों की भारी भीड़ जमा रही। लोग रुक रुककर हिंदुस्तान जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। इस दौरान रजिया मंसूर ने हम पूरे देश की आवाज हैं और सरकार को हमारी बात सुननी ही होगी, क्योंकि सेक्यूलर समाज हमारे साथ खड़ा है। मरयम राशिद और जेबा ने कहा कि देश की बेटियां संविधान की रक्षा के लिए सड़क पर उतर आई है। इसलिए सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करें। सना ने कहा कि नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए कुछ ताकतें लगातार साजिश रच रही हैं। देशभर में सीएए के विरोध में चलने वाले विरोध प...
सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे

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नारी शक्ति को हल्के में न ले सरकार देवबंद (सहारनपुर)। नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में महिलाओं का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन 14वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करे। रविवार को छुट्टी होने के चलते ईदगाह मैदान में लोगों की भारी भीड़ जमा रही। लोग रुक रुककर हिंदुस्तान जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। इस दौरान रजिया मंसूर ने हम पूरे देश की आवाज हैं और सरकार को हमारी बात सुननी ही होगी, क्योंकि सेक्यूलर समाज हमारे साथ खड़ा है। मरयम राशिद और जेबा ने कहा कि देश की बेटियां संविधान की रक्षा के लिए सड़क पर उतर आई है। इसलिए सरकार नारी शक्ति को हलके में लेने की भूल न करें। सना ने कहा कि नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए कुछ ताकतें लगातार साजिश रच रही हैं। देशभर में सीएए के विरोध में चलने वाले विरोध प...