चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के सीमांत क्षेत्र में सात फरवरी को आए पानी के सैलाब ने बहुत कुछ तबाह कर दिया। इसके बाद से अब तक कुल 37 शव मिल चुके हैं, जबकि शिनाख्त दस की ही हो पाई है। शुक्रवार को चमोली जिले के मैठाणा गांव के पास नदी किनारे एक शव बरामद किया गया है। अब भी 167 व्यक्ति लापता हैं, राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है। वहीं, आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने का काम जारी रहा।
ऋषिगंगा की आपदा में जनहानि के साथ ही पशु हानि भी भारी मात्रा में हुई है। पहली बार आपदा में 184 पशुहानि की सूचना दी गई। जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार जुवाग्वाड़ गांव के कई परिवारों की करीब 180 बकरियां और पेंग गांव के चार खच्चर लापता हैं। सात फरवरी को यह जानवर नदी किनारे चरने के लिए गए थे।
ऋषिगंगा जलप्रलय में लापता लोगों की तलाश जारी है। नौ सेना कमांडो, जल पुलिस एवं एसडीआरएफ की टीम श्रीनगर जल विद्युत परियोजना झील खंगाल रही है। एसडीएम रविंद्र बिष्ट ने बताया कि अलकनंदा नदी में गाद काफी है। इससे खोज अभियान में दिक्कत हो रही है। झील के बैराज से मृत जानवर, कबाड़ और गाद बहाने के लिए झील से पानी छोड़ना पड़ा।
एनडीआरएफ कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया है कि टीम लगातार शवों की तलाश कर रही है। नदी के किनारे शवों की तलाश के लिए एक टीम भी तैनात की गई है। बचाव अभियान में शामिल सभी एजेंसियां चौबीस घंटे काम कर रही हैं।