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पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की महिलाओ के अधिकार के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र का मिशन : पंरपरागत रूप से चली आ रही जमीन का मालिकाना हक अब पत्नियों का भी होगा, जाने इसके फायदे

महिला अधिकार को अमली जामा पहनाने को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र उठा रहे है बडा कदम

जेडएलआर अधिनियम में होगा जल्द संशोधन, इसी हफ्ते शासन स्तर पर बैठक होनी तय।


पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार की ये महत्वपूर्ण योजना धरातल पर उतरी तो उत्तराखंड में जल्द ही पंरपरागत रूप से चली आ रही जमीन का मालिकाना हक अब पत्नियों का भी होगा।
जिसके लिए त्रिवेंद्र सरकार जमींदारी भूमि विनाश अधिनियम (जेडएलआर) में संशोधन की तैयारी कर रही है
हम सभी जानते है कि हमारे उत्तराखंड के पर्वतीय जिलो से अधिक पलायन हुआ है ओर इसकी सबसे अधिक मार महिलाओं पर ही पड़ी है। अभी तक उत्तराखंड मेें वंशानुगत रूप से जमीन का अधिकार पुरुष के पास रहता है और उसके बाद बेटे के पास जाता है। इस तरह की जमीन को गोल खाता कहा जाता है।


  1. अभी इसमें एक संशोधन कुछ समय पहले हुआ, जिसके तहत विधवा को अधिकार दिया गया। लेकिन अब पुत्री को भी जमीन का यह अधिकार देने पर विचार किया जा रहा है। इसी को आगे बढ़ाते हुए अब प्रदेश सरकार पत्नियों को भी गोल खातों का अधिकार देने की कोशिश में है। जानकारी अनुसार पत्नियों को यह अधिकार देने के लिए जमींदारी भूमि विनाश अधिनियम में संशोधन करना होगा, ओर इसी कार्य किय जा रहा है।
    सूत्र कहते है कि इसका सबसे बड़ा फायदा उन महिलाओं को होगा, जो पहाड़ में खेती का काम कर रही हैं और उनके नाम कोई जमीन नहीं है। इससे उन्हें बैंक लोन सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही महिला आत्मनिर्भरता में भी प्रदेश एक कदम आगे बढ़ाएगा।
    जानकारी है कि
    एसीएस ओमप्रकाश की अध्यक्षता में एक कमेटी भू सुधार को लेकर पहले से ही गठित है। ओर इस समिति में विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव और सचिव शामिल हैं ओर इस समिति की बैठक इस हफ्ते होनी है इस बैठक में मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर बातचीत हो सकती है।
    वही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के अनुसार
    पहाड़ों में भूमि बंदोस्त का काम भी तेजी से आगे बढ़ा है। ओर लगभग सभी विभागों के प्रस्ताव इसमें आ गए हैं। ओर पंचायत के स्तर से शुरू पीएम की ओर से घोषित स्वामित्व योजना से ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी वाले इलाकों में इसका समाधान हो चुका है। अब खेती वाले इलाके पर काम हो रहा है। हम जानते है कि पहाड़ों में 1952 के बाद भूमि बंदोबस्त नहीं हुआ है। लेकिन त्रिवेंद्र का ऐलान है कि जल्द भूमि बंदोबस्त को भी पूरा किया जाएगा।

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