उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के असर को कम करने के लिए कांग्रेस का हथियार राहुल गांधी ही होंगे। राहुल ने उत्तराखंड के दूसरे दौरे के दौरान किसानों को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद करने की कोशिश की, साथ ही हरिद्वार में हरकी पैड़ी में गंगा आरती के माध्यम से साफ्ट हिंदुत्व पर भी दांव खेला।

 

चुनाव भले ही उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा के लिए हों, लेकिन कांग्रेस को बड़ा खतरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ही है। 2017 में मोदी लहर का असर झेल चुकी कांग्रेस को राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का बड़ा सहारा तो है ही, साथ में कोशिश की जा रही है कि राज्य में प्रधानमंत्री मोदी को घेरने के लिए मजबूत किलेबंदी की जाए। इसी रणनीति को अंजाम देने के लिए पार्टी ने राहुल की किच्छा और हरिद्वार की चुनावी रैलियों की व्यूह रचना की। इन दोनों ही जिलों में किसानों का असर रहा है। देशभर में जब किसान आंदोलन चल रहा था तो उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने इसे धार देने में कसर नहीं छोड़ी। यह अलग बात है कि उत्तराखंड में पार्टी का यह दांव अभी तक भाजपा को परेशानी की स्थिति में नहीं ला पाया है।

 

किसानों से जुड़ने की कांग्रेस की कोशिश

ऊधमसिंहनगर के किच्छा और आसपास किसानों के असर को देखते हुए ही कांग्रेस ने राहुल के किसानों से संवाद का कार्यक्रम नियत किया। हरिद्वार मध्य क्षेत्र को भी इसी कारण से चुना गया। दोनों ही स्थानों पर राहुल ने किसान आंदोलन, कृषि कानूनों और किसानों की नाराजगी को मुद्दा बनाने में ताकत लगाई। इन दोनों मैदानी जिलों में विधानसभा की 20 सीट हैं। राहुल ने मोदी के प्रभाव की काट के लिए केंद्र सरकार की एंटी इनकंबेंसी को भी उभारने का प्रयास किया। किसान आंदोलन के साथ ही निजीकरण और महंगाई को लेकर कांग्रेस ने आगे भी और मुखर रहने के स्पष्ट संकेत दिए हैं।

घोषणापत्र पर कांग्रेस को भरोसा

राज्य में भाजपा सरकार को निशाने पर लेने के साथ ही राहुल गांधी कांग्रेस के लुभावने घोषणापत्र और उसमें शामिल बिंदुओं से भी मतदाताओं को रिझाते दिखाई दिए। पिछले विधानसभा चुनाव में मोदी लहर से प्रभावित मतदाता बूथों पर बड़ी संख्या में उमड़े थे। कांग्रेस ने इसकी काट के लिए अपने बूथ स्तरीय कार्यकर्त्ताओं को झोंका है। राहुल ने बूथ कार्यकर्त्ताओं का मनोबल बढ़ाने में भी कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस की सरकार बनने पर वायदों को जमीन पर उतारने का भरोसा हो या जनता व कार्यकर्त्ताओं के साथ मुख्यमंत्री के संवाद की समस्या हो, राहुल गांधी दोनों ही मामलों में संदेश देने की रणनीति पर आगे बढ़े हैं।

राहुल के साथ मौजूद रहा संत समाज

प्रियंका के बाद राहुल की दो रैलियों से पूरे प्रदेश को वर्चुअली जोड़ने को भी कार्यकर्त्ताओं को मनोबल बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है। यही नहीं हरिद्वार में रैली के बाद हरकी पैड़ी पर गंगा आरती के लिए राहुल ने अच्छा-खासा समय निकाला। इस मौके पर प्रदेश में कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के साथ ही संत समुदाय की उपस्थिति रही, जिसे भाजपा को जवाब देने के लिए कांग्रेस की साफ्ट हिंदुत्व की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

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