पहाड़पुत्र अनिल बलूनी पहुंचे अपने पैतृक गांव, ढोल-दमाऊ से हुआ स्वागत; कहा- उत्तराखंड के विकास और सरोकार के लिए हूँ समर्पित

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देहरादून: बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी डेढ़ साल बाद अपने कोट ब्लॉक जनपद पौड़ी स्थित पैतृक गांव नकोट पहुंचे। यहां उन्होंने मंगलवार की सुबह कुलदेवी की पूजा की और उसके बाद वह डांडा नागराजा के दर्शन करने भी गए। सांसद बलूनी पिछले समय लंबी बीमारी से जूझे और बीमारी को मात दी। चिकित्सकों की सलाह पर वह कोरोना संकट के चलते दिल्ली में ही रहे। उन्होंने इस बीच अपने गांव से अभियान के जरिये संपर्क बनाए रखा।

सांसद अनिल बलूनी अपने गृह राज्य उत्तराखंड में विकास के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने उत्तराखंड के लिए दिल्ली से दो जन शताब्दी ट्रेनों को मंजूर कराया है। एक साल पहले वो एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। लेकिन उसके बाद उत्तराखंड के विकास के लिए वो लगातार काम कर रहे हैं।

अनिल बलूनी ने इस बार नए साल से पहले राज्य को बड़ी सौगात दी। अब उत्तराखंड को दिल्ली से जोड़ने के लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दो जन शताब्दी ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी है। बलूनी इन दो ट्रेनों को चलवाने के लिए काफी दिनों से प्रयासरत थे। इन दो ट्रेनों की खासियत यह है कि एक ट्रेन जो दिल्ली से टनकपुर जाएगी। वो सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि टनकपुर चम्पावत जिले का हिस्सा है और नेपाल बॉर्डर पर शारदा नदी के किनारे बसा है। दूसरी ट्रेन कोटद्वार से दिल्ली के बीच चलेगी। यह पौड़ी जनपद का हिस्सा है और इस जिले को ही नहीं बल्कि रुद्रप्रयाग और चमोली को भी इसका फायदा मिलेगा।

बलूनी ने राज्य के लिए इस साल किए ये काम:

  •  नैनी-दून एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन करवाया।
  •  आपदा प्रभावित राज्य को नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स की अलग से एक बटालियन दिलवाई।
  •  अपनी निधि से कोटद्वार और रामनगर के सरकारी अस्पतालों में आईसीयू वार्ड बनवाये।
  •  सेना और अर्द्ध सैनिक अस्पतालों में आम जनता को इलाज की सुविधा दिलवाई।
  •  आईटीबीपी के अस्पतालों में उपचार प्रारंभ कराया।
  •  हजारों विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को केंद्र से नियमों में छूट दिलवाकर उनकी नौकरी बचाई।
  •  केंद्र से मसूरी पेयजल योजना के लिए 187 करोड़ स्वीकृत कराये।
  •  तीलू रौतेली और माधो सिंह भंडारी के स्मारकों को पुरातत्व विभाग से संरक्षित करवाया।
  •  टनकपुर से बागेश्वर और करणप्रयाग रेल लाइन के लिए सर्वे को मंजूरी दिलाई।
  •  नैनीताल के रामनगर में केंद्र से बस पोर्ट की स्थापना को मंजूरी दिलाई।
  •  राज्य के लिए अलग से दूरदर्शन चैनल शुरू करवाया।
  •  टाटा ट्रस्ट से बातचीत कर उत्तराखंड में एक कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्वीकृति दिलाई।
  •  रामनगर के पास धनगढ़ी नाले पर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय से 28 करोड़ की लागत के पुल का निर्माण शुरू कराया। यहां पर हर बरसात में कई लोगों की जान जाती थी।
  •  सूचना प्रसारण मंत्रालय से इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन को मंजूरी दिलवाई।
  •  उत्तराखंड से छिन गए डॉप्लर रडार को फिर से प्रदेश में वापस मंगवाया, अब उन्हें लगाने का काम शुरू होगा।
  •  पौड़ी के बौर गांव को गोद लिया।
  •  सांसद निधि से ऋषिकेश एम्स और सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में रैन बसेरे बनाने की घोषणा।
  •  नैनीताल पेयजल योजना के लिए केंद्र सरकार से धनराशि स्वीकृति का प्रयास।
  •  ऋषिकेश में बसपोर्ट बनाने के लिए पहल।

इसके अलावा भी कई अन्य पहल राज्य हित मे बलूनी ने कैंसर जैसी घातक बीमारी से उबरने के बाद भी पूर्ण ऊर्जा के साथ नए लक्ष्य निर्धारित किये, जो आज राज्य हित के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे है।

अनिल बलूनी ने राजनीति में एक नए तरह की मिसाल भी पेश की है। उन्होंने एलान किया है कि वो कभी किसी योजना का शिलान्यास या उद्घाटन खुद नहीं करेंगे। धनगढ़ी नाले के पुल का शिलान्यास भी उन्होंने एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से करवाया। बलूनी के महत्वपूर्ण कार्यो में पलायन, पिछड़ेपन, बीमार पहाड़ को राहत, शिक्षा, वन, रेल यातयात के साथ ही बुनियादी समस्याओं का सामना कर रहे पहाड़ की जनता के लिए किसी मरहम से कम नही हैं।

अनिल बलूनी राज्य सभा सांसद बनने से पहले ही राज्य के विकास कार्यों के प्रति सक्रिय, सतर्क और महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवेदनशील के साथ अपनी पारखी नज़र रखते थे और राज्य सभा सांसद बनने के बाद उन्होंने अपने सभी अनुभवों का मिश्रण कर राज्य हित मे प्रयास किये, काम किये जो आज धरातल पर है।

भाजपा में राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे बलूनी ने भविष्य के राजनेताओं के सामने एक नई लकीर खीच कर ये बताने का काम किया है कि, केंद्रीय नेतृत्व और केंद्रीय मंत्रियों से मधुर रिश्तों का लाभ, ऊपर सही तर्क देकर ब्लू प्रिंट बनाकर कैसे ओर किस तरह से जनता को लाभ दिलाया जा सकता है। जन हित में उत्तराखंड के लिए काम किया जा सकता है।

अनिल बलूनी को बहुत करीब से जानने वाले लोग कहते है कि वे अपने समकक्ष जनप्रतिनिधियों के लिये वे मिसाल बनते जा रहे है। उनको राज्य की पूरी भौगोलिक जानकारी के साथ मुद्दों की समझ, परख है और उनके निरंतर प्रयासों व सियासी संबंधों से देवभूमि उत्तराखंड का विकास और राज्य के लोगों के विकास के लिए किस तरह से कुछ अलग किया जा सके, जो धरातल पर जल्द उतरे, जिसमे सबका साथ सबके विकास को सार्थक किया जा सके, उस मुहिम में लगे रहते है। जो उनको सबसे अलग बनाती है।

बलूनी ने सांसद चुने जाने के दिन से ही लीक से हटकर फैसले लेने आरंभ कर दिए थे। ये बलूनी ही हैं, जिन्होंने सांसद बनने के बाद कार्यकर्ताओं को होर्डिंग, पोस्टर, अभिनंदन और स्वागत समारोह करने से साफ मना कर दिया।

उन्होंने पहला वेतन राजकीय अनाथालय के बच्चों के कल्याण के लिए दान कर दिया। सांसद निधि का इस्तेमाल नाली खड़ंजों पर खर्च करने की परंपरा को तोड़ा और इसका इस्तेमाल बड़े कार्यों पर करने की एक नई रिवायत शुरू की।

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