देहरादून: विगत सात फरवरी को चमोली जिले में आई आपदा में लापता हुए लोगों को मृत घोषित करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके बाद अब लापता लोगों की परिजनों को मुआवजा मिलने में आसानी हो सकेगी।
बता दें कि, चमोली आपदा में लापता हुए लोगों के आश्रितों को मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से गुमशुदगी के मानकों में छूट मांगी थी। चमोली जिले की ऋषिगंगा में आई बाढ़ से ऋषिगंगा प्रोजेक्ट और एनटीपीसी के विष्णुगाड़ प्रोजेक्ट में काम कर रहे कई कर्मचारियों व मजदूर बह गए थे। इस हादसे में अभी तक कई लोग लापता हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। वहीँ प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी मृतकों के आश्रितों को दो लाख रुपये देने की घोषणा की है, लेकिन प्रभावितों में बहुत बड़ी संख्या उनकी है जिनके अपनों का अब तक कोई सुराग नहीं है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने केदारनाथ आपदा प्रभावितों के तर्ज पर चमोली आपदा के प्रभावितों को मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया।
गौरतलब है कि, लापता व्यक्ति को सात साल बाद मृत घोषित माना जाता है। नियमों में मृतक आश्रित को ही मुआवजा देने का नियम है। नियमों में छूट की अनुमति मिलने के बाद प्रभावित परिवार को लापता परिजन के बारे में संबंधित जिले में गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कराना होगा। स्थानीय पुलिस अपने स्तर पर जांच कर प्रभावित परिवार को फाइनल रिपोर्ट जारी करेगी। इस फाइनल रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार लापता व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करेगी। इस प्रमाण पत्र के आधार पर प्रभावित परिवार को मुआवजा मिल सकेगा।