आपको बता दे कि दून के आदर्श नगर में अपने ही परिवार के चार सदस्यों की बेरहमी से हत्या करने वाले हरमीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई है।
उसे 302 के तहत फांसी, 307 और 316 में दस साल की कैद व एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है।
पंचम अपर जिला जज आशुतोष मिश्र की अदालत ने ये फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा, ये रेयर आफ रेयर केस है। उत्तराखंड के पहले बड़े मामले में देहरादून कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
बता दे कि दीपावली के दिन चकराता रोड आदर्श नगर में एक ही परिवार के गर्भवती महिला सहित चार सदस्यों की हत्या करने वाले आरोपित को कोर्ट ने सोमवार को दोषी करार दिया था।
हत्या के वक्त घर में हरमीत का करीब पांच वर्ष उम्र का भांजा कंवलजीत सिंह जिंदा बचा था। हत्यारे ने उस पर भी चाकू से हमला किया था। वह बेड के नीचे छिपकर बच गया था। जो इस केस में अहम गवाह रहा। न्यायालय में अभियोजन ने कुल 21 गवाह और वैज्ञानिक साक्ष्य पेश किए। आरोप ने रामपुर चाकू से हत्याकांड को अंजाम दिया था।
हत्यारे हरमीत को सजा दिलाने में ये साक्ष्य रहे अहम
आरोपी की खून से सनी चप्पल और वारदात के दौरान पहनी खून से सनी शर्ट और लोअर, कत्ल करते समय चाकू के प्रहार से हरमीत की अंगुलियां कट गई थीं, भांजे कंवलजीत की गवाही और एम्स की मेडिकल जांच रिपोर्ट।
संपत्ति के हर हकदार को ठिकाने लगाने की साजिश
वारदात के वक्त हरमीत की अपनी मां सहारनपुर में रहती थी। हरमीत सिंह के दिलो-दिमाग में भरा नफरत का गुबार दिवाली की रात पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की हत्या के रूप में फूटा। एक तो नशा और दूसरा कम बात करने की आदत की वजह वह अपनी पीड़ा को कभी जाहिर नहीं कर पाया। उसका लगाता था पिता की सारी संपत्ति से वह और मां बेदखल न हो जाए। दिवाली से एक दिन पहले हरमीत ने जीजा अरविंदर सिंह को फोन कर घर बुलाया था। वह नहीं पहुंचे। उसका इरादा संपत्ति के हर हकदार को ठिकाने लगाने का था। हत्या से पहले उसने रामपुरी चाकू को धार लगवाई और क्लोरोफार्म खरीदा था।