उत्तराखंड के धाकड़ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक मामले में सख्त से सख्त जांच करने के आदेश ना देते तो.. यह मामला सालों साल तक चलता रहता… धन्यवाद मुख्यमंत्री जी..

यदि यह सच है तो… पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तक को इतने बड़े भ्रष्टाचार की जानकारी नहीं लगी…..!!!
पूरी खबर हम आपको बताते है स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने में उत्तर प्रदेश के जिस नकल माफिया सैयद सादिक मूसा (Syed Sadiq Musa) का नाम मुख्य आरोपित के रूप में सामने आ रहा है, ऐसे मे एसटीएफ से जुड़े सूत्रों की मानें तो वह साल 2012 से उत्तराखंड में नकल माफिया सैयद सादिक मूसा उत्तराखंड में सक्रिय है  

मूसा (Syed Sadiq Musa) उत्तर प्रदेश के धामपुर और लखनऊ में बैठकर अपने गिरोह की मदद से उत्तराखंड में पेपर लीक करवा रहा था। गंभीर बात यह है कि साफ-सुथरी परीक्षाओं का दावा करने वाले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी और बीते 10 सालो में मूसा ने उत्तराखंड में बाकायदा अपनी टीम तैयार कर ली

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak) प्रकरण में पूर्व में गिरफ्तार किया जा चुका केंद्रपाल, मूसा का बेहद करीबी है। दोनों ने आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. के मालिक राजेश चौहान के साथ मिलकर साल 2012 में उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों की सौदेबाजी शुरू की थी। मूसा और केंद्रपाल करोड़ों रुपये में राजेश चौहान से पेपर लीक करने की डील करते थे।

पेपर हाथ में आने के बाद वह कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में अपने गुर्गों के माध्यम से अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचाते थे। इसके लिए हर अभ्यर्थी से लाखों रुपये लिए जाते थे। आरोपितों ने गढ़वाल और कुमाऊं में अलग-अलग टीम तैयार कर रखी थी। मूसा के गिरोह में हाकम सिंह, शशिकांत और चंदन मनराल जैसे कई गुर्गे शामिल थे

पहले तो लगा कि छोटे-मोटे हीं इस गिरोह का मास्टरमाइंड थे पर जैसे-जैसे गिरफ्तारियों का आंकड़ा बढ़ा तो मास्टरमाइंड बदलने लगे। धामपुर (उप्र) निवासी केंद्रपाल के गिरफ्त में आने के बाद एसटीएफ को पता चला कि इस गिरोह का संचालन सादिक मूसा कर रहा था। एसटीएफ मूसा तक पहुंचती, इससे पहले ही ख़बर है कि वह नेपाल भाग गया।
इस प्रकरण में अब तक 34 आरोपितों पर गिरफ्तारी का शिकंजा कस चुका है। लखनऊ के प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. के मालिक राजेश चौहान को छोड़ दें तो पकड़े गए बाकी आरोपितों में शिक्षक, पीआरडी जवान, पुलिस जवान, न्यायिक कर्मचारी, अपर निजी सचिव आदि शामिल हैं।

पेपर लीक प्रकरण में अब तक इनकी हुई गिरफ्तार
जयजीत सिंह (आरएमएस टेक्नो साल्सूशंस प्रा. लि. का कंप्यूटर प्रोग्रामर)
मनोज जोशी (निष्कासित पीआरडी जवान)
मनोज जोशी
कुलवीर सिंह चौहान (कोचिंग इंस्टीट्यूट का डायरेक्टर)
शूरवीर सिंह चौहान
गौरव नेगी (अध्यापक)
अभिषेक वर्मा (आरएमएस टेक्नो साल्सूशंस प्रा. लि. का कर्मचारी)
दीपक चौहान (उपनल कर्मचारी, एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी सेलाकुई)
भावेश जगूड़ी (उपनल कर्मचारी, एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी सेलाकुई)
दीपक शर्मा
अंबरीश गोस्वामी (ऊधमसिंह नगर में तैनात पुलिसकर्मी)
महेंद्र चौहान (न्यायिक कर्मचारी नैनीताल)
हिमांशु कांडपाल (न्यायिक कर्मचारी रामनगर)
तुषार जोशी
सूर्य प्रताप (सहायक निजी सचिव न्याय विभाग)
गौरव चौहान (अपर निजी सचिव वन विभाग)
तनुज शर्मा (शिक्षक राइंका नैटवाड़, मोरी उत्तरकाशी)
हाकम सिंह (निष्कासित भाजपा नेता)
अंकित रमोला
ललित राज शर्मा (जूनियर इंजीनियर)
चंदन सिंह मनराल (ट्रांसपोर्टर)
जगदीश गोस्वामी (शिक्षक)
दिनेश चंद्र जोशी (जीबी पंत विश्वविद्यालय का सेवानिवृत्त अधिकारी)
केंद्रपाल (उप्र का नकल माफिया)
राजेश चौहान (आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. का मालिक)
प्रदीप पाल (आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. का कर्मचारी)
शशिकांत (कंप्यूटर सेंटर संचालक, हल्द्वानी)
विपिन बिहारी (आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रा. लि. का कर्मचारी)
बलवंत सिंह रौतेला (राजकीय प्राथमिक विद्यालय लोहाघाट में शिक्षक)
फिरोज हैदर
विनोद जोशी (पुलिसकर्मी, ऊधमसिंह नगर में तैनात था)
राजबीर (कनिष्ठ सहायक राजकीय पालीटेक्निक, टिहरी)
संजय राणा (पीआरडी जवान, अप्रैल तक आयोग में तैनात था)
संपन्न राव (उप्र के नकल माफिया सैयद सादिक मूसा का गुर्गा)
जुलाई 2022 में सामने आया पेपर लीक होने का सनसनीखेज मामला
गत वर्ष चार और पांच दिसंबर को हुई उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने का सनसनीखेज मामला जुलाई 2022 में सामने आया था।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने इसकी जांच एसटीएफ को सौंपी और एसटीएफ ने 24 जुलाई को मुकदमा दर्ज करने के दो दिन बाद ही छह आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से एसटीएफ निरंतर गिरफ्तारियां कर रही है।

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