‘ट्रांसपेरेंसी इंडिया’ का खुलासा, भ्रष्टाचार का दुश्मन पहाड़पुत्र त्रिवेंद्र रावत

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देहरादून:

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में उत्तराखंड भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। सीएम पद सम्भालने के पहले दिन से ही जीरो टोलरेंस की निति अपनाकर सीएम त्रिवेंद्र ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन लेते हुए उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाकर एक सख्त सन्देश दिया। साथ ही पारदर्शिता लाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कई सुविधाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है। नतीजा यह रहा कि, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मामले में उत्तराखंड देश के कई राज्यों के मुकाबले आगे निकल गया है। ‘ट्रांसपेरेंसी इंडिया’ के सर्वे में भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीरो टोलरेंस की नीति को सराहा गया है।

प्रदेश की भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलेरेंस की नीति अपनाकर राज्य को राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों के मुकाबले आगे ला खड़ा किया है। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद से बीते साढ़े तीन साल में त्रिवेंद्र सरकार ने ऐसे कई कदम उठाये हैं जिनसे कई विभागों में साल 2017 के पहले से चल रहे भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम लगा दी गई है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रदेश की बागडोर हाथ में लेने के साथ ही ये स्पष्ट कर दिया था कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की पहल पर एनएच 74 मामले में सरकार बनने के तुरंत बाद एसआइटी के गठन और दर्जनों लोगों के जेल जाने से सीएम त्रिवेंद्र और प्रदेश सरकार के इरादे स्पष्ट हो गए थे।
त्रिवेंद्र सरकार जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने के बाद अब तक भ्रष्टाचार के लगभग ढाई दर्जन मामलों में कड़ी कार्यवाही करके 55 से अधिक दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को जेल भेज चुकी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने विभिन्न मंचों से यह स्पष्ट भी किया कि प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति अपनाते हुए सत्ता के गलियारों से दलालों का पूरी तरह सफाया कर दिया है।

भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये गये अभियान के तहत खाद्य विभाग में ऊधम सिंह नगर जिले में सरकार ने करीब 600 करोड़ रुपये का चावल घोटाला पकड़ा। छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में एसआइटी द्वारा डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) में करोड़ों रुपये की बकाया राशि की वसूली में लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई की गई। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार ने खनन पट्टों की ई-नीलामी की प्रक्रिया लागू कर अनियमितताओं की सभी संभावनाएं समाप्त कर दी हैं। जानकारों का मानना है कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने और आम जनता से लेकर सरकारी ठेकों की नीलामी को ऑनलाइन बनाकर जनता का अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों से संपर्क सीमित किया गया है

इसी का नतीजा रहा है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के साथ ही त्रिवेंद्र सरकार जनता को सुशासन देने के अपने वादे पर खरी उतर रही है। ‘ट्रांसपेरेंसी इंडिया’ के साल 2019 के सर्वे के मुताबिक, राज्यों में रिश्वतखोरी के मामलों में उत्तराखंड का स्थान उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से नीचे रहा है। इन राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड में सरकारी कामकाज के लिए रिश्वत देने के मामलों पर अधिक प्रभावी ढंग से लगाम लगाई गई है।

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