बोले इंडिया : सरहद की हिफाजत में भी महत्वपूर्ण होगी उत्तराखंड की ऑलवेदर रोड की भूमिका पूरी ख़बर
जी हा लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों की दुस्साहसिक हरकत के बाद राज्य में निर्माणाधीन ऑलवेदर रोड परियोजना के जल्द पूरा करने की आवश्यकता अब महसूस की जा रही है।
आपको बता दे कि यह महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना हमारे पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार ही नहीं बनेगी बल्कि सरहद की हिफाजत में भी इसकी अहम भूमिका होगी।
ओर इस परियोजना का निर्माण पूरा होने पर सीमांत जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ की सीमाओं पर सेना की पहुंच और मजबूत हो सकेगी।
बता दे कि कुछ समय पहले केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल (रि.) वीके सिंह ने उम्मीद जाहिर की थी कि हरिद्वार महाकुंभ से पूर्व परियोजना का कार्य पूरा हो जाएगा। लेकिन इसके आसार इस समय कम नज़र आ रहे है
बता दे कि परियोजना जिन अड़चनों के जंजाल में फंसी है, उससे सड़क को सीमांत इलाकों तक पहुंचने में काफी समय लग सकता है।
जान ले उत्तराखंड में 345 किमी लंबे चीन सीमा की सुरक्षा पहुंच में आलवेदर रोड की ही अहम भूमिका तय है
लेकिन अभी तक पर्यावरणीय वजह से न्यायालय ने परियोजना में केवल उन्हीं कार्यों को चालू रखने की अनुमति दे रखी है, जिनमें पहले से काम चल रहा है। वही 889 किमी की इस परियोजना में 124 किमी लंबे धरासू -गंगोत्री के बीच 87 किमी मार्ग भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के कारण वन भूमि व नाप भूमि अधिग्रहण लटका हुवा है
तो विकल्प के लिए मुखबा से जो नया एलाइनमेंट बनाया गया। उसमें भी लगभग आठ हजार पेड़ रास्ते में आ रहे हैं।
वही सामरिक लिहाज से मार्ग का यह हिस्सा बेहद अहम है।
इसके बाद दूसरी अड़चन जोशीमठ और कलियासौड़ में बाईपास मार्गों को लेकर है, जिनकी अनुमति मिलनी शेष है।
इसके अलवा पहाड़ी प्रदेश मै प्राकृतिक चुनौतियां अलग कार्यदायी एजेंसियों की परीक्षा
लगातार ले रही है।
ओर इन्हीं अड़चनों की वजह से साल 2019 तक बनने वाली सामरिक महत्व की इस परियोजना के कुछ हिस्सों पर अभी तक काम भी नहीं हो पाया है।
आइये आपको बताये की कहां कितने किमी सड़क का होना है निर्माण
ऋषिकेश से रूद्रप्रयाग 140
रूद्रप्रयाग से माणा 160
ऋषिकेश से धरासू 144
धरासू से गंगोत्री 124
धरासू से यमुनोत्री 95
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड 76
टनकपुर से पिथौरागढ़ 150
परियोजना की कुल लंबाई 889
ये भी जान ले अभी तक इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 11700 करोड़ है
ओर चार एजेंसियां बना रही हैं ये सड़क
इस परियोजना में लोक निर्माण विभाग, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की पीआईयू, एनआईडीसीएल और बीआरओ को कुल 53 कार्य स्वीकृत हैं। इनमें सबसे अधिक 27 कार्य लोनिवि के पास हैं।
परियोजना की अब तक प्रगति
672 किमी के कार्य स्वीकृत हो चुके हैं।
वही 213.83 करोड़ के 04 कार्य पूरे हो चुके हैं।
645 किमी पर 34 कार्यों पर काम चल रहा है।
806 किमी में वन भूमि है, 80 प्रतिशत हस्तांतरण पूरा।
647 किमी पर पेड़ों का कटान पूरा हो चुका है।
816.15 में 703 किमी यानी 86 प्रतिशत नाप भूमि अधिग्रहित।
529.05 करोड़ रुपये भू स्वामियों को मुआवजा भी बांटा जा चुका है।
672 से 605 किमी पर कोई व्यवधान नहीं है।
645 किमी पर सड़क बनाने का काम जारी है।
504 किमी सड़क का चौड़ीकरण कार्य पूरा हो चुका है।
324 किमी पर प्रोटेक्शन वाल व 85 किमी पर क्रैश बैरियर बनाए गए हैं