कोरोना महामारी के उपचार का दावा करना बाबा रामदेव का दांव उल्टा पड़ा, बढ़ी मुश्किलें
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
कोरोना महामारी से पूरा विश्व जंग लड़ रहा है । इसकी अभी तक कोई दवा या वैक्सीन तैयार नहीं हो पाई है । भारत समेत विश्व के लगभग 80 देश कोरोना की वैक्सीन बनाने को लेकर तमाम वैज्ञानिक और एक्सपर्ट पिछले काफी समय से लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक उनको सफलता नहीं मिल सकी है । लेकिन पतंजलि के मुखिया बाबा रामदेव ने विश्व के बड़े बड़े साइंटिस्टों और एक्सपर्टों को पीछे छोड़ते हुए इस महामारी के उपचार करने का दावा कर डाला । इस महामारी को मात देने के लिए बाबा रामदेव कई दिनों से देशभर के चैनलों में आकर हर रोज डंका पीट रहे थे कि वह जल्द ही इसकी दवा को लॉन्च करेंगे। आखिरकार मंगलवार को काफी समय से उतावले चल रहे बाबा रामदेव ने आनन-फानन में बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एलान कर दिया कि अब पतंजलि ने इस महामारी के उपचार की दवा खोज निकाली है ।योगगुरु रामदेव की संस्था पतंजलि ने ‘कोरोनिल’ नामक दवा को लॉन्च कर दिया । रामदेव ने इस दवा से कोरोना संक्रमित मरीजों के 7 दिन में ठीक होने का भी दावा किया । जैसे ही यह खबर पूरे देश भर में वायरल होती गई लोगों को इस महामारी से निजात के लिए उम्मीद भी जाग गई थी, लेकिन शाम होते होते केंद्र सरकार ने इस पर अपनी असहमति जताते हुए रोष भी जताया । आयुष मंत्रालय ने तो बाबा रामदेव को फटकारते हुए पूछा है कि यह दवा बनाने के लिए लाइसेंस आपने किस से लिया है ? आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 की दवा कोरोनिल और इसके विज्ञापन पर रोक भी लगा दी है। उसके बाद उत्तराखंड सरकार और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान और राजस्थान सरकार ने बाबा रामदेव को इस दवा के दावे को लेकर नोटिस और केस भी कर दिया है ।

अब बाबा रामदेव और बालकृष्ण इस दवा के दावे को लेकर सफाई देते फिर रहे हैं—


आपको बता दे कि रामदेव की कोरोनिल दवा लॉन्च करने के बाद आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से इससे संबंधित कुछ जानकारी भी मांगी थी । जिसमें किन मरीजों पर टेस्ट किया गया, कहां और किस अस्पताल में ये टेस्ट हुआ । किस तरह का सैंपल साइज, क्या प्रक्रिया अपनाई गई और क्या रिजल्ट आया । इसके अलावा भी दवा से जुड़े कई सवालों को पूछा गया । आयुष मंत्रालय पतंजलि के सवालों और सफाई से सहमत नहीं हुआ तब जाकर इस दवा और प्रचार पर रोक लगा दी थी । कोविड-19 के दवा बनाने को लेकर पतंजलि और बाबा रामदेव इतनी जल्दी में थे कि इस दवाई को कोरोना वायरस से पीड़ित किसी गंभीर मरीज पर नहीं परखा गया है, सिर्फ उन लोगों पर टेस्ट किया गया है कि जिनमें कोरोना वायरस के काफी कम लक्षण थे । पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि ये क्लीनिकल ट्रायल जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में किया गया था । स्वास्थ्य मंत्रालय और उत्तराखंड राज्य सरकार के पतंजलि के इस दवा के दावे पर असहमति जताई है । इसके बाद से ही बाबा रामदेव और उनके साथी बालकृष्ण कोरोनिल दवा को लेकर सफाई देते फिर रहे हैं ।
देश को गुमराह करने पर राजस्थान में बाबा रामदेव पर मुकदमा दर्ज—

