देहरादून: महामारी ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाले एंफोटेरिसीन-बी इंजेक्शन की खरीद प्रदेश सरकार ने रोक दी है। जी हां, ऋषिकेश एम्स के एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट के अनुसार इंजेक्शन से किडनी को नुकसान होने की बात सामने आई। इससे पहले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस का संदेह जताया था। बहरहाल अब प्रदेश सरकार ने इसकी खरीद रोक दी है।
गौरतलब है कि सिडकुल की एक फार्मा कंपनी एंफोटेरिसीन-बी इंजेक्शन का उत्पादन कर प्रदेश सरकार को मुहैया करा रही थी। बीते महीने के अंत में 15 हजार इंजेक्शन की पहली खेप सरकार ने खरीदी थी। बाद में पांच हजार और इंजेक्शन का ऑर्डर दिया मगर ये पता चलने पर कि इंजेक्शन के दुष्प्रभाव हो रहे हैं, खरीद को रोक दिया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार जो इंजेक्शन यहां मिल रहा है, उससे ज्यादा असरकारक इंजेक्शन लाइफोसोमल एंफोटेरिसिन-बी है। अब चूंकि इसकी मांग नहीं हुई तो प्रदेश सरकार ने इंजेक्शन की खेप लेने से मना कर दिया। इसके बाद कंपनी ने इंजेक्शन की खेप को मुंबई डिपो भेज दिया। वरिष्ठ ड्रग इंस्पेक्टर सुधीर कुमार ने बताया कि अब लिपोसोमल एंफोटेरिसीन-बी किया जा रहा है। जो कि काफी प्रभावी साबित हो रहा है। इसी वजह से एंफोटेरिसीन-बी की दूसरी खेप नहीं ली गई।
वरिष्ठ ड्रग इंस्पेक्टर का कहना था कि लाइफोसोमल एंफोटेरिसिन-बी यहां पर बनाए जा रहे इंजेक्शन की तुलना में ज्यादा असरकारक सिद्ध हो रहा है। ऐसे में इसकी मांग भी न होने से प्रदेश सरकार की तरफ से दूसरी तैयार इंजेक्शन की खेप लेने से इंकार कर दिया गया। जिसके बाद कंपनी ने तैयार एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन अपने मुंबई स्थित डिपो को भेज दिया।
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