पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के आईएएस बंशीधर तिवारी जी ने सालों साल से आम से लेकर खास का दिल जीत रखा है.. यह अफसर जरा हटकर है.

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दिवाली मनाओ तो आईएएस बंशीधर तिवारी जैसी, इन मासूम चेहरों की मुस्कराहट की बने वजह…

हर असरदार शख्स के घर दिवाली पर तोहफों की बारिश हो जाती है। गिफ्ट, मिठाई, ड्राई फ्रूट, चॉकलेट, जूस औन न जाने क्या क्या लोग लेकर आ जाते हैं। असरदार शख्स यदि आईएएस अफसर हो, तो कहने ही क्या। उस पर यदि डीजी सूचना, डीजी शिक्षा, निदेशक पंचायतीराज, एमडी जीएमवीएन जैसे अहम पदों की जिम्मेदारी हो, तो तोहफों की संख्या का अंदाजा आप लगा सकते हैं। इन तोहफों को समेटने की बजाय बंशीधर तिवारी जी ने उनका सही उपयोग करते हुए असल जरूरतमंद लोगों तक इसे पहुंचाया। शनिवार को दोपहर बाद एक इनोवा भर कर सामान लेकर वे बनियावाला स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय बालिका छात्रावास पहुंचते हैं। यहां 107 छोटी छोटी बच्चियों के चेहरे इन गिफ्ट, मिठाई, चॉकलेट, फुलझड़ी को देखते ही खिल उठते हैं। ये सिलसिला यहीं नहीं थमता, बल्कि शहर के कई अन्य ऐसे ही स्थानों पर वे कई दिनों से ऐसे ही सामान लेकर पहुंच रहे हैं। इन तमाम चीजों का जिक्र यहां इसीलिए किया जा रहा है, क्योंकि यहीं इस राज्य में कई आईएएस, इंजीनियर और कई अहम पदों पर बैठे ऐसे अफसर भी हैं, जो दिवाली पर मिलने वाले इन उपहारों को दोबारा बाजार में बेचने के लिए भी कुख्यात रहे हैं।
कुछ आईएएस और अन्य अफसर तो ऐसे रहे, जो उनके घर आने वाले मिठाई के डिब्बों को अपने ड्राइवर के जरिए फिर उन्हीं दुकानों तक पहुंचा देते थे। इन मिठाई के डिब्बों को बेचने के बाद जो भी मिलता था, उसे लेने में कोई संकोच नहीं करते थे। ऐसे में बंशीधर तिवारी जी की ये पहल हर उस असरदार शख्स के लिए सीख है, जिसके घरों में तोहफों की बारिश होती है। ऐसा नहीं है कि उनकी ओर से ऐसा पहली बार किया गया हो। बल्कि पीसीएस के रूप में एसडीएम पद से अपनी सेवाएं शुरू करने के समय से ही वे हर दिवाली पर अपने यहां आने वाले सामान को अनाथ आश्रम, सरकारी स्कूलों के छात्रावास में बांटते आए हैं। काश उनकी इस मुहिम को देख कर बाजार में तोहफों को बेचने वाले कुछ सीख ले सकें। उनकी ये मुहिम असल मायनों में दिवाली जैसे महापर्व को बेहद खास बना देती है।

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