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एसजीआरआरयू की संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रीति तिवारी ने कहा कि गढ़वाली भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना आवश्यक है।

एसजीआरआरयू की संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रीति तिवारी ने कहा कि गढ़वाली भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना आवश्यक है।

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  एसजीआरआरयू की संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रीति तिवारी ने कहा कि गढ़वाली भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना आवश्यक है। अपणि भाषा, अपणि शान एसजीआरआरयू में गढ़वाली संस्कृति को मिला नया आयाम देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा मंगलवार को गढ़वाली भाषा दिवस का भव्य आयोजन किया गया। पथरीबाग परिसर के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में गढ़वाली गीत, नृत्य और कविताओं ने ऐसा सांस्कृतिक वातावरण रचा कि उपस्थित जनसमूह मंत्रमुग्ध हो उठा। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ। इसके बाद गढ़वाली संस्कृति की झलक दिखाने वाले लोकगीतों और लोकनृत्यों की श्रृंखला ने सभी दर्शकों को मोहित कर दिया। पारंपरिक वेशभूषा में सजे विद्यार्थियों ने गढ़वाली लोकनृत्यों के माध्यम से क्षेत्रीय संस्कृति ...