दुःख दर्द के सिवा पहाड़ की नारी की किस्मत मे कुछ लिखा भी है ऊपर वाले ने या नही?? महज ढाई साल के मासूम के बाद एक महिला को अपना निवाला बना दिया तेंदुए ने ।
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दुःख दर्द के सिवा पहाड़ की नारी की किस्मत मे कुछ लिखा भी है ऊपर वाले ने या नही??
एक ओर महिला को अपना निवाला बना दिया तेंदुए ने ।
बोलता है पहाड़ी राज्य
बनकर पहाड़ की आवाज़
जिसने पहाड़ को बचाये रखा है वही मात्रशक्ति आये दिन अपनी जान गांव रही है, कभी भालू, कभी बाघ, कभी तेदुवा इनको निवाला अपना बनाता,
तो कभी पहाड़ से या फिर किसी पेड़ से गिरकर इनकी दर्दनाक मौत हो जाती ,
उत्तराखंड की समय समय की राज्य की सरकार और विपक्ष भले ही देहरादून मे रहकर बढ़ते पलायान पर चिंता जाहिर करते हो।
पर कोई भी ये तो बताये की ये लोग अब पहाड़ो मे क्यो रहे? ओर क्यो अपने घर गाँव वापस आये?
इन सवालों के साथ
पूछता है पहाड़ी राज्य बनकर पहाड़ की आवाज़
सबसे पहली बात-
सरकारी स्कूल बदहाल गुडवत्ता खत्म ।
दूसरी बात- मातृशक्ति के इलाज से लेकर आम जनमानस के लिए स्वास्थ्य सेवाओ का पूरा अभाव जग जाहिर है इसलिए पहाड़ आज भी ...